Monday, June 8, 2009

Christine - 1983




क्रिस्टीन (Christine)

रिलीज़ वर्ष - 1983
निर्देशक - जॉन कारपेन्टर
निर्माता - रिचर्ड कोब्रिट्ज़
लैरी जे. फ़्रैंको
कलाकार - कीथ गॉर्डन, जॉन स्टॉकवेल, अलेक्ज़ेंड्रा पॉल, विलियम ऑस्ट्रैंडर इत्यादि

क्रिस्टीन 1983 में बनी एक अलग क़िस्म की डरावनी फ़िल्म है जिसमें मुख्य खलनायिका एक कार है। यह एक लाल-सफ़ेद रंग की 1957 मॉडल की प्लाइमाउथ फ़्यूरी कार है। इस कहानी को स्टीफ़न किंग ने लिखा था, लेकिन जैसा कि आमतौर पर होता है, फ़िल्म की कहानी भी किंग के उपन्यास से थोड़ी-सी अलग है। दर्शकों को फ़िल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती है, मज़ा और भी बढ़ता जाता है। जॉन कारपेन्टर वैसे 1978 में 'हैलोवीन' बनाकर हॉरर की दुनिया में अपने नाम और काम का डंका पहले ही बजा चुके थे, और अब उन्हें किसी इंसान को नहीं, बल्कि किसी निर्जीव चीज़ को ख़लनायक बनाना था। यह कार उनकी उन्नत सोच की एक जीती-जागती मिसाल है, और सच तो यह है कि किसी इंसान से दया की उम्मीद करना तो समझ में आता है, लेकिन किसी निर्जीव चीज़ के सामने रहम की भीख मांगना बिल्कुल अजीब लगता है। यही कारण है कि यह फ़िल्म अपनी कार रूपी खलनायिका की वजह से बड़ी मनोरंजक और उत्तेजक बन पड़ी है। आइए इसकी कहानी और समीक्षा पढ़ें।

कहानी की शुरुआत एक कार फ़ैक्ट्री से होती है। दिखाया जाता है कि प्लाईमाउथ फ़्यूरी कारें एक-एक करके जाँचकर्ताओं के सामने आती जा रही हैं, और उनकी जाँच होती जा रही है और इस तरह वे बाज़ारों में बिकने को तैयार हो रही हैं। उन कारों में एक लाल-सफ़ेद रंग की कार है। एक जाँचकर्ता उसका बोनट खोलकर इंजन की जाँच करता है लेकिन इतने में ही कार का बोनट अपने आप नीचे गिरता है, और जाँचकर्ता का हाथ घायल हो जाता है। इसके बाद एक अन्य जाँचकर्ता कार के अंदर बैठकर रेडियो सुनते हुए सिगार के कश लगाता है, लेकिन थोड़ी ही देर बाद वह एक दूसरे जाँचकर्ता को मृत अवस्था में मिलता है। समय का पहिया घूमता जाता है, और अब हम आ पहुँचते हैं 1978 में।

आर्नाल्ड कनिंगहैम (कीथ गोर्डन) एक सीधा-सादा हाईस्कूल विद्यार्थी है। उसका शारीरिक गठन कमज़ोर है, और उसमें ऐसा कुछ नहीं है जो किसी आम आदमी को प्रभावित कर सके। उसका कोई दोस्त नहीं है और डेनिस गिल्डर (जॉन स्टॉकवेल) के अलावा उसे कोई घास नहीं डालता। डेनिस एक बढ़िया रग्बी खिलाड़ी है, जिस पर स्कूल की बहुत सारी लड़कियाँ जान छिड़कती हैं। आर्नी (आर्नाल्ड) अपनी कमज़ोरी को अपने अच्छे चरित्र के रूप में रखता है। जब डेनिस उसे लड़कियों की ओर हाथ बढ़ाने को कहता है तो वह कहता है कि उसे उनमें से कोई भी अच्छी नहीं लगती और अभी उसे आगे पढ़ना और नाम कमाना है। आर्नी के माता-पिता बड़े ही सख़्त मिज़ाज हैं। वे आर्नी के साथ अब भी वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसे वह कोई छोटा बच्चा हो। आर्नी उनके इस व्यवहार को सहर्ष स्वीकार करता है और कोई भी काम उनकी इच्छा के विरुद्ध नहीं करता। डेनिस रोज़ सुबह आर्नी को उसके घर से अपनी कार में हाईस्कूल ले कर जाता है, और ऐसा इसलिए क्योंकि आर्नी की मां नहीं चाहती कि आर्नी के पास इस उम्र में अपनी एक कार हो। डेनिस आर्नी का शुभचिंतक है और हमेशा ही उसका पक्ष लेता है। एक दिन स्कूल आने पर उन्हें एक नई लड़की ली (अलेक्ज़ेंड्रा पॉल) के बारे में पता चलता है। ली बहुत सुंदर है और सभी लड़के उससे दोस्ती करना चाहते हैं, लेकिन वह काफ़ी समझदार और सुलझी हुई लड़की है और किसी की पेशकश पर ग़ौर नहीं करती। अपने सहपाठियों के उकसाने पर डेनिस भी उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, लेकिन ली डेनिस की पेशकश पर ध्यान नहीं देती। डेनिस आर्नी से कहता है कि अगर मुझे ली जैसी लड़की मिल जाए तो जिंदगी का मज़ा ही कुछ और होगा।

उस दिन शाम को डेनिस को पता चलता है कि स्कूल के कुछ गुंडे टाइप लड़के आर्नी को परेशान कर रहे हैं। वह दौड़ा-दौड़ा आर्नी की मदद करने जाता है। वहाँ पहुँच कर डेनिस देखता है कि बडी रेपरटन (विलियम ऑस्ट्रैंडर) और उसके कुछ साथियों ने आर्नी को घेर लिया है और उसे परेशान कर रहे हैं और उसे चाक़ू दिखाकर डरा रहे हैं। देखते ही देखते वे उसका लंच बैग फाड़ देते हैं, उसका चश्मा तोड़ देते हैं, और डेनिस को भी मारते हैं। स्कूल के टीचर के आने पर ही मामला शांत होता है। टीचर उन सभी को स्कूल से निष्कासित कर देता है। जाते-जाते बडी आर्नी को कह जाता है कि वह उसे देख लेगा। आर्नी इस बात से चिंतित हो उठता है। घर जाते समय डेनिस उसे समझाता है कि वे उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे, लेकिन आर्नी को भी ख़ुद के बचाव के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति कभी-भी आ सकती है। रास्ते में आर्नी को एक कबाड़ी के यहाँ कुछ दिखाई देता है। वह डेनिस को अपने साथ वहाँ ले जाता है। वहाँ एक टूटी-फूटी लाल-सफ़ेद रंग की कार दिखाई पड़ती है। आर्नी उस कार को देख उत्साहित हो जाता है और कबाड़ी से उस कार का सौदा करना चाहता है। कबाड़ी उन्हें बताता है कि यह कार वास्तव में उसके भाई की है और वह उससे बेहद प्यार करता था। डेनिस कबाड़ी से पूछता है कि यदि उसके भाई को उस कार से इतना ही प्यार है तो वह उसे बेच क्यों रहा है। कबाड़ी उन्हें बताता है कि उसका भाई अब ज़िंदा नहीं है और वह सड़क दुर्घटना में मारा गया था। हैरानी की बात यह है कि उसकी मृत्यु इसी कबाड़ा कार को चलाते समय हुई थी और तब से यह कार ऐसे ही किसी कूड़े की तरह पड़ी हुई है। कबाड़ी उन्हें बताता है कि कार का नाम ‘क्रिस्टीन’ है। डेनिस के लाख समझाने पर भी आर्नी टस से मस नहीं होता और अंत में 250 डॉलर में क्रिस्टीन का सौदा कर ही लेता है।

आर्नी के माता-पिता कार देखकर चिढ़ जाते हैं और आर्नी से कहते हैं कि यह उसके कार रखने की उम्र नहीं है इसलिए वे उसे उस कबाड़ को अपने घर पार्क नहीं करने देंगे। आर्नी भी चिढ़कर उस कार को एक गैरेज में ले जाता है जो ‘ख़ुद करके देखो’ की तर्ज पर चलता है। गैरेज का मालिक डार्नेल एक मुँहफट और गाली-गलौज करने वाला आदमी है। वह आर्नी को हिदायत देता है कि उसके कबाड़ की वजह से यदि गैरेज में कोई भी परेशानी आई तो वह उसे उसकी कबाड़ा कार के साथ धक्के मारकर बाहर निकाल देगा। आर्नी यह सब सुनकर भी चुप रहता है क्योंकि उसका लक्ष्य क्रिस्टीन को ठीक करना है और वह अपने प्रयास में जुट जाता है।

एक दिन स्कूल में रग्बी मैच का आयोजन किया जाता है। डेनिस इस समय मैदान में अपने प्रतिद्वंदियों को धूल चटाता रहता है कि उसकी नज़र एक चमचमाती लाल-सफ़ेद रंग की गाड़ी पर पड़ती है और फिर वह देखता है उस कार से पहले आर्नी निकलता है और उसके पीछे ली! डेनिस आश्चर्यचकित हो उठता है कि आख़िर आर्नी ने ली पर ऐसा क्या जादू किया कि वह उससे प्रभावित हो गई। इसी सोच में उसका ध्यान बंट जाता है और किसी दूसरे खिलाड़ी की ठोकर से वह घायल हो जाता है। डेनिस को तुरंत अस्पताल ले जाया जाता है। इसी समय गुंडा बडी और उसके साथी भी आर्नी और उसकी नई कार को देखते हैं।

अस्पताल में आर्नी घायल डेनिस से उसका हालचाल जानने आता है लेकिन वह उसे नहीं बताता कि उसके और ली के बीच आख़िर क्या पक रहा है। उस रात आर्नी और ली क्रिस्टीन में बैठे एक-दूसरे से प्यार करते रहते हैं। आर्नी कुछ देर के लिए बाहर निकलता है कि तभी क्रिस्टीन के दरवाज़े अपने आप बंद होकर लॉक जाते हैं और फिर ली देखती है कि क्रिस्टीन के अंदर एकाएक तेज़ रोशनी फैल गई, और रेडियो अपने आप शुरू हो गया। अचानक ही कोई अज्ञात शक्ति ली का गला घोंटने लगती है, और ली बेसुध-सी होकर इधर-उधर हाथ मारने लगती है। आर्नी की लाख कोशिशों के बाद दरवाज़ा खुलता है और ली की जान में जान आती है। वह आर्नी से कहती है कि क्रिस्टीन अशुभ है और वह उससे जलती है क्योंकि वह (ली) आर्नी से प्यार करती है। ली के लाख समझाने पर भी आर्नी नहीं मानता कि क्रिस्टीन अशुभ है। आर्नी ली को घर छोड़ता है और वापस डार्नेल के गैरेज में आकर क्रिस्टीन को रख जाता है।

उस रात बडी और उसके साथी चुपके से गैरेज में आते हैं और हथौड़े, रॉड, पत्थर, हॉकी आदि के प्रहार से क्रिस्टीन के साथ तोड़फोड़ करते हैं। क्रिस्टीन को पूरी तरह कबाड़ बनाकर वे गुंडे चुपके से निकल जाते हैं। इधर आर्नी ली को मनाने में सफल हो जाता है और ली भी मान लेती है कि क्रिस्टीन अशुभ नहीं है। अगली सुबह आर्नी उसे लेकर डार्नेल के गैरेज में आता है लेकिन क्रिस्टीन की हालत देखते ही उसके होश उड़ जाते हैं। ली उसे संभालने की कोशिश करती है लेकिन आर्नी का ग़ुस्सा उस पर फट पड़ता है और वह ली को धकेल कर कहता है कि उसे क्रिस्टीन के अलावा कोई नहीं चाहिए। उसके व्यवहार से क्षुब्ध होकर ली वहाँ से चली जाती है।

आर्नी बेहद उदास हो जाता है, उसे नहीं पता कि क्रिस्टीन अपने पुराने रूप में कैसे लौटेगी। उसे लगता है कि उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। घर पर उसके माता-पिता कहते हैं कि वे उसे नई कार ख़रीद देंगे, लेकिन आर्नी कहता है कि क्रिस्टीन की जगह कोई नहीं ले सकती। बातों ही बातों में उनका विवाद बढ़ जाता है और आर्नी अपने माता-पिता से झगड़कर वापस डार्नेल के गैरेज में आ जाता है। उसका अब एक ही लक्ष्य है, क्रिस्टीन को ठीक करना। क्रिस्टीन को देखकर उसका मन बेहद उदास हो जाता है और वह जज़्बाती हो उठता है। ठीक इसी समय उसे लगता है कि क्रिस्टीन ख़ुद ब ख़ुद हरकत में आ रही है। उसके कुछ पुर्जे अपने आप ठीक हो जाते हैं। आर्नी को विश्वास आ जाता है कि क्रिस्टीन कोई मामूली कार नहीं है, बल्कि बेहद अनोखी है। आर्नी क्रिस्टीन की ओर मुँह करके खड़ा हो जाता है और कहता है "ठीक है, मुझे दिखाओ”। इतना कहते ही क्रिस्टीन जैसे सजीव हो उठती है, उसके कलपुर्जे अपने आप एक-एक करके यथास्थान बैठने लगते हैं। देखते ही देखते बस कुछ ही मिनटों में क्रिस्टीन अपने पूर्व रूप में आ जाती है। अब उस पर न तो कोई खरोंच है और न ही आघात के कोई निशान ही बाक़ी हैं। आर्नी समझ जाता है कि उसे अब क्या करना है।

आर्नी के स्वभाव में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। वह पहले डरा सहमा-सा रहता था लेकिन अब वह बदतमीज़ और ग़ुस्सैल हो गया है। डेनिस उसे स्वभाव में आए परिवर्तन से चिंतित है और ठीक से नहीं जानता कि आर्नी का स्वभाव दिन-ब-दिन क्यों बदलता जा रहा है। आर्नी उसके पास जब भी आता तो क्रिस्टीन की ही चर्चा करता रहता, डेनिस को यूँ लगने लगा जैसे आर्नी और क्रिस्टीन इंसान और कार नहीं बल्कि प्रेमी और प्रेमिका हैं। उस रात बडी का एक साथी अंधेरे में कहीं से आता रहता है कि उसका सामना क्रिस्टीन से हो जाता है। क्रिस्टीन उसका गली-गली में पीछा करती है और अंत में उसकी जान लेकर ही छोड़ती है। क्रिस्टीन उसे दीवार पर कुचल कर मार डालती है। कहना मुश्किल है कि क्रिस्टीन स्वयं चल रही थी या आर्नी उसे चला रहा था। सुबह पुलिस का एक आदमी आर्नी से इस घटना की पूछताछ करता है लेकिन उसे आर्नी और क्रिस्टीन पर सबूतों के कोई निशान दिखाई नहीं देते, और मजबूरन उसे आर्नी से अपनी पूछताछ बंद करनी पड़ती है।

इधर ली डेनिस से आर्नी के बदले हुए तेवर की चर्चा करना चाहती है, वह चाहती है कि डेनिस स्वयं इसे देखे और कारणों का पता लगाए। डेनिस आर्नी के साथ उसकी कार में जाता है और बातों ही बातों में आर्नी डेनिस को बताता है कि आज वह जो कुछ भी है वह सिर्फ़ क्रिस्टीन के कारण है और वह अपने और क्रिस्टीन के बीच किसी को नहीं आने देगा। डेनिस उसके बदले हुए तेवर भांप लेता है, वह क्रिस्टीन का माइलोमीटर भी देखता है जो सीधे के बजाय उल्टा चल रहा है यानी क्रिस्टीन जितना अधिक चलेगी मीडर उतनी ही कम रीडिंग दिखाएगा। डेनिस को आर्नी की बातों से अंदाज़ा लग जाता है कि आज रात डार्नेल नहीं रहेगा।

उसी रात एक और घटना घटती है। क्रिस्टीन बडी और उसके एक और साथी का पीछा करती है और उनकी कार के परखच्चे उड़ा देती है। क्रिस्टीन एक पेट्रोल पंप में भी विस्फोट करा देती है। बडी का साथी तो पेट्रोल पंप पर हुए धमाके में मारा जाता है लेकिन क्रिस्टीन बडी को दौड़ाकर मारती है। यह दृश्य वाक़ई अच्छा बन पड़ा है, क्रिस्टीन जल चुकी है और उससे आग की लपटें निकल रही हैं, लेकिन वह ग़ुस्से से पागल होकर बडी का पीछा करती है और उसे अपनी चपेट में लेकर जलाकर मार डालती है। इस दृश्य को देखकर कहना पड़ता है ‘जॉन कारपेन्टर यू आर सिंपली ग्रेट!’ बडी और उसके साथी की हत्या कर क्रिस्टीन रात को डार्नेल के गैरेज में आ पहुँचती है। रात गए क्रिस्टीन को जली भुनी हालत में देखकर डार्नेल आर्नी पर भड़क उठता है। क्रिस्टीन चुपचाप अपनी जगह पर जाकर खड़ी हो जाती है। डार्नेल को आर्नी पर ग़ुस्सा आता है। वह उसे गैरेज से निकाल भगाने की गरज से क्रिस्टीन के पास जाता है लेकिन दरवाज़ा खोलते ही उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि क्रिस्टीन के अंदर कोई नहीं है। डार्नेल सोचता है कि फिर उसे चला कौन रहा था। इसी बीच क्रिस्टीन के दरवाज़े अपने आप बंद होकर जाम हो जाते हैं, रेडियो अपने आप शुरू हो जाता है और ड्राइवर सीट (जिस पर डार्नेल बैठा रहता है) अचानक आगे की ओर सरकने लगती है और उसे दबाकर उसका दम निकाल देती है।

इस केस की गहन छानबीन की गरज से पुलिस डार्नेल के गैरेज पर आती है, वहाँ आर्नी भी पहुँचता है और देखता है कि क्रिस्टीन पर रात की घटना का कोई प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। वह फिर से एकदम नई और चमचमाती हुई दिखाई दे रहा है। हालांकि पुलिस अधिकारी को आर्नी पर शक है लेकिन कोई भी सुराग के न मिलने पर उन्हें केस की छानबीन मजबूरन बंद करनी पड़ती है। डेनिस समझ जाता है कि ली झूठ नहीं बोल रही है। क्रिस्टीन वाकई अभिशप्त है, और वह अपना खेल तभी बंद करेगी जब वह अपने मालिक आर्नी की जान ले लेगी। आर्नी के बदले हुए तेवर भी इस बात का सबूत देते हैं कि आर्नी अब वह आर्नी नहीं रहा जिसे लोग एक शर्मीले और संकोची नौजवान के रूप में जाना करते थे। वह मुँहफट, बदतमीज़, ग़ुस्सैल और बदमिज़ाज हो चुका है। उसे किसी की कोई परवाह नहीं है। अगर वह किसी से प्यार करता है तो वह है क्रिस्टीन और केवल क्रिस्टीन।

डेनिस और ली आर्नी को क्रिस्टीन के चंगुल से मुक्त कराने का संकल्प लेते हैं। डेनिस और ली दोनों जानते हैं कि आर्नी रात में डार्नेल के गैरेज में ही अपनी गाड़ी रखता है। ली और डेनिस पहले ही वहाँ पहुँच जाते हैं। डेनिस अब भी पैरों की चोट से घायल है और पूरी तरह तंदुरुस्त नहीं है। डार्नेल के गैरेज के पास ही एक बड़ा कैटरपिलर बुलडोज़र रखा हुआ है। डेनिस उसे किसी तरह चालू करता है और उसे लेकर गैरेज के अंदर आ जाता है। डेनिस ली से नीचे रहने को कहता है ताकि वह आर्नी के ग़ुस्से को संभाल सके। डेनिस और ली आर्नी के आने का इंतज़ार करने लगते हैं। कुछ देर में आर्नी वहाँ पहुँचता है और डेनिस तथा ली को एक साथ देखकर आगबबूला हो जाता है। उसे एक पल के लिए लगता है कि डेनिस और ली उसे फँसाने की कोशिश कर रहे हैं। वह क्रिस्टीन में सवार होकर ली पर झपटता है। ली अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागती है लेकिन आर्नी उसे मारने कुचलने पर आमादा हो जाता है। दीवार पर एक घातक टक्कर के परिणामस्वरूप आर्नी घायल हो कार से बाहर गिर जाता है और थोड़ी ही देर में दम तोड़ देता है। अब क्रिस्टीन भी ली को मारने पर तुल जाती है लेकिन इससे पहले की वह ली को छू पाती, डेनिस उस पर बुलडोज़र लेकर चढ़ जाता है। क्रिस्टीन बुलडोज़र की मार नहीं सह पाती और उसकी विशाल चेन के नीचे आकर चकनाचूर हो जाती है। डेनिस को इस पर भी चेन नहीं आता और वह बुलडोज़र से क्रिस्टीन को कई बार रौंद देता है। क्रिस्टीन की हेडलाइट्स बुझ जाती हैं जो बताती हैं कि क्रिस्टीन दम तोड़ चुकी है।

फ़िल्म के आख़िरी दृश्य में दिखाया जाता है कि क्रिस्टीन कूड़े की शक्ल में बदल चुकी है और वह कूड़ा घनाकार है। ली और डेनिस को अब भी विश्वास नहीं है कि यह वही क्रिस्टीन है जिसने इतने लोगों को मौत के घाट उतारा है। अचानक ही कहीं से रेडियो बज उठता है। डेनिस और ली घबराकर इधर-उधर देखते हैं कि तभी उन्हें एक मज़दूर हाथों में बजता हुआ रेडियो लिए दिखाई देता है। वे राहत की साँस लेते हैं और अपने घर की ओर चल देते हैं। कूड़े की शक्ल में बदली क्रिस्टीन के कलपुर्जों में अब भी कोई छोटी-सी हरकत होती है, जिसका तात्पर्य है कि खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ है।


समीक्षा

इस फ़िल्म की कहानी प्रवाहमय और रोचक है। यह एक आश्चर्यजनक परिकल्पना है कि कोई कार ख़ून की प्यासी भी हो सकती है। क्रिस्टीन का दरिंदगी से अपने दुश्मनों का सफ़ाया करना और अंत में अपने मालिक की जान भी ले लेना इस बात के पक्के सबूत हैं कि क्रिस्टीन किसी की नहीं है और वह केवल ख़ून की प्यासी है। हालांकि इस फ़िल्म में इसका कहीं ज़िक्र नहीं है कि क्रिस्टीन किसी आत्मा के वशीभूत हो ऐसा कर रही है या फिर किसी शाप के। कहानी में यही एक कमज़ोर कड़ी है कि इसका कहीं भी ज़िक्र नहीं किया गया है कि क्रिस्टीन ये हत्याएँ किसी के इशारे पर कर रही है या फिर अपने आप। ख़ैर फ़िल्म का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन करना होता है और इस लिहाज़ से यह फ़िल्म काफ़ी मनोरंजक बन पड़ी है। फ़िल्म का मसाला तो कुछ ख़ास नहीं है इसलिए आर्नी, उसके परिवार, डेनिस, ली, बडी और ऐसे ही पात्रों को लेकर कहानी को बेकार में खींचा गया है। यदि इनकी भूमिका को काट-छाँट कर थोड़ा कम किया जाता और इसके बजाय क्रिस्टीन के कुछ और कारनामे भरे जाते तो फ़िल्म थोड़ी और रोचक हो सकती थी। बहरहाल जॉन कारपेन्टर की 'हैलोवीन’ को अगर 10/10 नंबर दिए जाएंगे तो क्रिस्टीन को 7/10 देना सही रहेगा। एक कार को हत्या करते देख दर्शकों को समय-समय पर वह ज़बरदस्त झटका नहीं लगता जैसा किसी क़ातिल के एकाएक सामने आ जाने पर लगता है। इसके बाद भी क्रिस्टीन अपने रहस्यमय रंगरूप, चाल, गति, और आकर्षण के कारण बहुत दिनों तक दर्शकों के मन में अपनी छाप छोड़ने में सफल हुई। जॉन कारपेन्टर आपका धन्यवाद!