Monday, July 2, 2012

Dead & Buried (1981)


डेड एंड बरीड
रिलीज़ वर्ष - 1981
निर्देशक - गैरी शर्मन
निर्माता - रॉबर्ट फ़ेंट्रेस, रिचर्ड सेंट जॉन्स, रोनाल्ड शसेट
कलाकार - जेम्स फ़ैरेंटीनो, जैक एल्बर्टसन,  मेलोडी एंडरसन आदि.

'डेड एंड बरीड' 1981 में बनी एक हॉरर फ़िल्म है, जिसे आज भी हॉरर जगत में बड़े सम्मान से देखा जाता है। कल्ट फ़िल्मों (वर्ग विशेष में लोकप्रिय फ़िल्में) के जादूगर गैरी शर्मन ने वाइस स्क्वाड, पोल्टरगाइस्ट 3 जैसी अन्य सफल फ़िल्मों का भी निर्देशन किया, लेकिन 'डेड एंड बरीड' इनसे बहुत अलग है। दरअसल 'डेड एंड बरीड' की कहानी अपने समय के लिहाज़ से बहुत उन्नत है, और वह परिकल्पना, जिस पर यह आधारित थी, अपने ढंग की शायद पहली परिकल्पना थी। मैं स्वयं ऐसी हॉरर फ़िल्मों को ज़्यादा प्राथमिकता देता हूँ, जो वातावरण से मन में भय उत्पन्न करती हैं, और शायद यही कारण है कि मैं साल में कम-से-कम 20 बार इस फ़िल्म को अवश्य देखता हूँ। इस फ़िल्म की ख़ूबी यह है कि इसकी पूरी कहानी पर अस्सी के स्वर्णिम दशक की गाथा लिखी हुई है। इसका हर पहलू हमें याद दिलाता है, कि अस्सी के दशक का हॉरर-जगत में क्या महत्व था। जहाँ आजकल की हॉरर फ़िल्मों में स्पेशल इफ़ेक्ट्स का बोलबालाहै, और डर के लिए क्रूरता को ही एकमात्र हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है, वहीं गैरी शर्मन की 'डेड एंड बरीड' नवोदित निर्देशकों को शिक्षा देती लगती है कि भय के लिए बेहिसाब क्रूरता, बर्बरता और यातना की ज़रूरत नहीं है।

कथा-संक्षेप

अमेरीका के न्यू इंग्लैंड प्रांत के समुद्र तट पर बसा एक शांत कस्बा पॉटर्स ब्लफ़। पॉटर्स ब्लफ़ मध्यम वर्गीय लोगों का छोटा-सा धुंध से भरा सुहावना नगर है। यहीं एक रोज़ एक फ़ोटोग्राफ़र (क्रिस्टोफ़र ऑलपोर्ट) कुछ फ़ोटो उतारने की नीयत से समुद्र तट पर आता है। तट पर उसकी मुलाकात एक अनिद्य सुंदरी (लीज़ा ब्लॉन्ट) से होती है। दोनों एक दूसरे का नाम पूछने के बजाय एक दूसरे के नाम के बारे में अटकल लगाने लगते हैं। लड़की फ़ोटोग्राफ़र को फ़्रेडी नाम देती है, और फ़ोटोग्राफ़र उसे लीज़ा कहता है। फ़्रेडी लीज़ा की तस्वीरें उतारने लगता है, और लीज़ा उसे अपनी ओर आकर्षित करने लगती है। अचानक ही उनकी प्रेमलीला में बाधा पड़ जाती है, और हाथ में तरह-तरह के औज़ार लिए कुछ लोग वहाँ आ धमकते हैं। अचानक ही लीज़ा भी उनकी टोली में शामिल हो जाती है, और वे सब फ़्रेडी को बुरी तरह पीटने लगते हैं। मार से बेहोश फ़्रेडी को एक खंभे से बांध दिया जाता है, और टोली के कुछ लोग उस पर पेट्रोल डालकर उसे ज़िंदा जला देते हैं।

डैन जिलिस (जेम्स फ़ैरेंटीनो) पॉटर्स ब्लफ़ का टाउन इंस्पेक्टर (शेरिफ़) है। उसे जल्द ही इस हत्याकांड की सूचना मिल जाती है। कुछ बचाव कर्मी उसे बताते हैं कि उक्त व्यक्ति (फ़्रेडी) अभी ज़िंदा है, अलबत्ता वह बुरी तरह जल चुका है। डैन के साथ-साथ वहाँ पॉटर्स ब्लफ़ का मॉर्टिशियन (लाश का अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति) डॉक्टर डॉब्स (जैक एल्बर्टसन) भी मौजूद है। डॉब्स पोस्टमॉर्टम करने के साथ-साथ क्षत-विक्षत लाशों को सही रूप भी देता है, और वह पॉटर्स ब्लफ़ का एकमात्र अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति भी है। डैन और डॉब्स के बीच हमेशा किसी न किसी बात पर बहस छिड़ी रहती है। डॉब्स हर वक़्त डैन के समक्ष अपने काम की महानता का बखान करता रहता है, जिससे डैन को चिढ़ हो गई है।

बहरहाल, घायल व्यक्ति (फ़्रेडी) को तुरंत अस्पताल लाया जाता है, जहाँ वह डॉक्टर (जोसफ़ मेडेलिस) की सेवा में है। डैन डॉक्टर से कहता है कि इस जघन्य अपराध का पर्दाफ़ाश करने के लिए उसे उस घायल व्यक्ति के बयान की ज़रूरत है, लेकिन डॉक्टर उसे बताता है कि उक्त व्यक्ति के होंठ जल जाने के कारण वह फ़िलहाल तब तक कुछ नहीं बोल सकता, जब तक कि उसकी प्लास्टिक सर्जरी पूरी नहीं हो जाती। डॉक्टर डैन से बातचीत करने के लिए डैन को बाहर ले जाता है। वे बातचीत करते रहते हैं, और इसी बीच एक नर्स फ़्रेडी के कमरे में बेआवाज़ घुस आती है। दर्शक देखते हैं कि यह वही लड़की लीज़ा है, जो हत्यारों की टोली में शामिल थी। असहाय फ़्रेडी कुछ नहीं कर पाता, और लीज़ा उसकी आँखों में इंजेक्शन घुसेड़ देती है, और कमरे से दबे पाँव बाहर निकल जाती है। फ़्रेडी के मरते ही अलार्म बज उठता है, और डॉक्टर तथा डैन दोनों फ़्रेडी की मौत से सन्न रह जाते हैं।

डैन घूमते-फिरते उस होटल में पहुँचता है, जहाँ फ़्रेडी ठहरा हुआ था। होटल का मालिक बेन (मेकन मैक्कालमैन) डैन का परिचित है, और डैन की मदद करके ख़ुश है। पूरा कमरा छान मारने के बाद भी डैन के हाथ कुछ नहीं लगता। अचानक बेन को कुछ याद आता है और वह कहता है, "ओह...मैं बताना भूल गया, अगर इसके बारे में कुछ जानना चाहते हो, तो अपनी पत्नी से पूछो। वह उससे होटल में आकर मिली थी।"

डैन की समझ में कुछ नहीं आता। परेशान होकर वह घर चला आता है, जहाँ उसकी बीवी जेनेट (मेलोडी एंडरसन) उसका स्वागत करती है। डैन उससे उस व्यक्ति के बारे में पूछता है। उसे पता चलता है कि उस व्यक्ति का नाम जॉर्ज लेमॉयन था। जेनेट उसे बताती है कि वह जॉर्ज से स्कूली फ़ोटो के सिलसिले में मिलने गई थी। जेनेट बच्चों के स्कूल में टीचर है, और उसके अनुसार स्कूल की समिति ने जॉर्ज को बच्चों तथा स्कूल की फ़ोटो खींचने के लिए बुलाया था। कुछ राहत पाकर डैन अपने काम में फिर लग जाता है। अगले दिन उसे रास्ते में जेनेट के स्कूल के चेयरमैन दिखाई देते हैं। जेनेट के बयान की पुष्टि करने के लिए डैन चेयरमैन से जॉर्ज के बारे में पूछता है, लेकिन चेयरमैन कहते हैं कि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति को स्कूल या बच्चों की फ़ोटो खींचने के लिए नहीं बुलाया था। डैन का मन दोबारा आशंका से भर उठता है।

कुछ दिनों बाद कुछ लोग एक मछुवारे को जहाज घाट पर भयानक मौत मार देते हैं। डैन और भी परेशान हो उठता है। अभी पिछले क़त्ल की गुत्थी भी नहीं सुलझी थी कि एक नए हत्याकांड की पहेली सामने आ गई। डैन पूरा ज़ोर लगाकर क़ातिल को पकड़ने में जुट जाता है। इस बीच जेनेट रोज़ाना देर से घर लौटती है। डैन कुछ आपत्ति तो जताता है, लेकिन जेनेट की प्रेमिल बातों और सटीक दलीलों की वजह से जल्द ही उससे सुलह कर लेता है। इस बीच जेनेट उसे एक वीडियो टेप भी प्रोसेस करवाने के लिए देती है, और कहती है कि ये टेप उसके स्कूल में हुए प्रोग्राम का है।

एक रात एक दंपत्ति और उनका 8-9 वर्षीय बेटा पॉटर्स ब्लफ़ से होकर गुज़रते रहते हैं। रास्ता पूछने के मक़सद से पति एक कैफ़े में चला आता है, जहाँ एक व्यक्ति उसकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है। दर्शक को अचानक ही याद आता है कि वह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि जॉर्ज ऊर्फ़ फ़्रेडी है, जिसे अस्पताल में मार दिया गया था। लेकिन जॉर्ज तो पूरी तरह स्वस्थ है, और उसके चेहरे पर जलने तो क्या खरोंच तक के निशान नहीं हैं। वह परिवार फ़्रेडी के बताए रास्ते पर निकल पड़ता है, लेकिन आगे जाने पर कुछ लोग उनका रास्ता रोक लेते हैं। ये वही हत्यारे हैं, जिन्होंने हत्या की वारदातों को अंजाम दिया है। दर्शक पूरी तरह समझ नहीं पाते कि उस परिवार का क्या हुआ। अलबत्ता केस की तफ़्तीश में लगा डैन उसी रास्ते से होकर निकलता है, और उस परिवार को पूरी तेज़ी के साथ कार में भागता हुआ देखता है। इससे पहले की डैन कार का पीछा कर पाता, उसकी गाड़ी किसी व्यक्ति से ज़ोर से टकराती है। डैन घायल व्यक्ति को देखने के लिए बाहर निकलता है, लेकिन अचानक ही उसके सिर पर एक थपकी पड़ती है। डैन पलटकर देखता है कि उसकी गाड़ी के बोनट में उस व्यक्ति का कटा हुआ हाथ फंसा हुआ है, और वह पूरी हरकत में है। इससे पहले की डैन कुछ समझ पाता, सड़क पर पड़ा व्यक्ति उठ खड़ा होता है, और डैन को एक ओर धकेल देता है, फिर वह अपना हाथ बोनट से निकाल कर रात के सन्नाटे में एक ओर भाग खड़ा होता है और एक चारदीवारी के पीछे जाकर गुम हो जाता है। बहुत छानबीन करने के बाद भी डैन को कुछ नहीं मिलता।

घर पर डैन को जेनेट की मेज़ की दराज़ में वू-डू (अफ़्रीकी/कैरीबियाई तंत्र-मंत्र) की कुछ किताबें और एक ख़ंजर मिलता है। डैन विचलित हो उठता है, और जेनेट से इसका कारण पूछता है। जेनेट फिर कहती है कि वह बच्चों को वू-डू के विषय में पढ़ा रही है इसलिए ऐसी चीज़ें उसके पास हैं। वह डैन के इस सवाल से नाराज़ भी होती है। इस बीच डैन को ख़बर मिलती है कि किसी की कार समुद्र में आधी डूबी मिली है। दर्शक इस कार को देखते ही समझ जाते हैं कि कार उसी परिवार की है, जिन्हें रात में डैन ने भागते हुए देखा था। हालांकि उस दंपत्ति और छोटे बच्चे के विषय में कुछ पता नहीं चल पाता।

अगली सुबह डैन चुपचाप जेनेट के स्कूल जाकर उसकी हरकतों पर नज़र रखने की कोशिश करता है। खिड़की से अंदर झांककर वह देखता है कि जेनेट सचमुच बच्चों को वू-डू के बारे में बता रही है। डैन फिर से संदेह मुक्त होकर वहाँ से चला जाता है, लेकिन यह नहीं देख पाता कि जेनेट की क्लास में बैठा एक बच्चा दरअसल वही बच्चा है, जिसका परिवार उस रात पॉटर्स ब्लफ़ से होकर गुज़र रहा था। डैन अपनी जीप के बोनट पर चिपके मांस के नमूने को डॉक्टर के पास जाँच के लिए भेजता है। तभी बेन उसके पास आकर हाँफते हुए कहता है, "डैन क्या तुम्हें वह फ़ोटोग्राफ़र याद है, जिसके लिए तुम मेरे होटल पर आए थे, और जो अस्पताल में मर गया था? मैंने उसी आदमी को पेट्रोल पंप पर लोगों की गाड़ियों में पेट्रोल डालते देखा है। अगर यक़ीन न हो, तो अपनी बीवी से पूछो।" डैन जेनेट के साथ पेट्रोल पंप पर जाता है, लेकिन जेनेट की हरकत देखकर उसे नहीं लगता कि वह पेट्रोल पंप के किसी भी सदस्य को पहचानती है।

जाँच के बाद डॉक्टर डैन को बताता है कि उसके द्वारा भेजा गया मांस का नमूना यक़ीनन मानव मांस ही है, लेकिन वह मांस कम से कम तीन हफ़्ते पुराना है। डैन को यकायक यकीन नहीं होता कि जिस व्यक्ति को उसने रात में भागते हुए देखा था, उसकी त्वचा तीन हफ़्ते पुरानी कैसे हो सकती है? इस बीच कुछ लोग अस्पताल में मांस के नमूने की जांच करने वाले डॉक्टर को भी मार डालते हैं।

इधर एक अन्य लड़की पॉटर्स ब्लफ़ के हत्यारों का शिकार बन जाती है। हत्यारे उसका चेहरा भारी पत्थर से कुचल देते हैं। उसकी लाश मिलने पर डैन और भी परेशान हो उठता है। मृत लड़की को डॉक्टर डॉब्स की प्रयोगशाला में लाया जाता है। दर्शक देखते हैं कि डॉब्स बहुत बड़ा कलाकार है। वह लड़की के कुचले हुए चेहरे को बिल्कुल सही रूप में ले आता है और फिर अचानक ही एक साया वहाँ आकर लड़की के मृत शरीर में जान फूंक कर चला जाता है। लड़की तत्क्षण होश में आ जाती है और विचित्र नज़रों से दर्शकों को देखती है।

डैन ठान लेता है कि वह इन हत्याओं का राज़ जानकर रहेगा। वह वीडियो शॉप में जाकर वहाँ से वही वीडियो टेप लेता है, जिसे जेनेट ने उसे प्रोसेस करवाने के लिए दिया था। वीडियो देखने पर अचानक ही डैन उछल पड़ता है। उस वीडियो में उसे जेनेट किसी आदमी की बाँहों में लेटी दिखाई देती है। डैन देखता है कि जेनेट उस आदमी की पीठ में छुरा घोंप रही है, और फिर अचानक ही अनेक लोग, जिनमें वे लोग भी हैं जो उससे रोज़ मिलते हैं, जिन्हें डैन अपना दोस्त समझता है, और जो रोज़ डैन को इन हत्याओं के ज़िम्मेदार व्यक्ति को सज़ा दिलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अंत में डैन को डॉक्टर डॉब्स भी वहाँ नज़र आता है, जो उस व्यक्ति की हत्या का जश्न मनाने लगता है। डैन को समझते देर नहीं लगती कि वे सभी हत्यारे हैं और उनका दोहरा जीवन महज़ दिखावा है। डैन को यह समझते देर नहीं लगती कि जेनेट वू-डू का इस्तेमाल मुर्दों को जगाने के लिए करती है।

डॉब्स के बारे में तहक़ीक़ात करने पर डैन को पता चलता है कि डॉब्स पहले किसी अन्य राज्य के सम्मानित अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट हुआ करता था, जिसे लाशों के साथ उल्टे-सीधे और अप्राकृतिक प्रयोग करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। बरसों पहले वही डॉक्टर डॉब्स पॉटर्स ब्लफ़ के इस शांत कसबे में आकर बस गया और यहीं से अपने प्रयोगों को अंजाम देने लगा। डैन को यक़ीन हो जाता है कि इन सभी हत्यारों का आक़ा डॉब्स ही है। डैन उन कब्रों को भी खुदवाता है, जहाँ डॉब्स के अनुसार मुर्दे दफ़न थे, लेकिन उसे किसी भी कब्र में लाश नहीं मिलती। अलबत्ता उसे ताबूत में मृतकों के कपड़े मिलते हैं, और कपड़ों के अंदर सावधानी से रखा हुआ एक इंसानी दिल धड़कता हुआ मिलता है!

डैन इन हत्याओं और जेनेट के विचित्र व्यवहार का कारण डॉब्स को मानता है, इसलिए वह डॉब्स को गिरफ़्तार करने के लिए उसके घर पहुँचता है। उसे वहाँ जेनेट भी मिलती है, लेकिन उसका पूरा शरीर दरअसल जर्जर हो चुका है। ऐसा लगता है मानो वह कोई पुतला हो और उसमें जान ही न हो। वह डैन से मिन्नत करती है कि वह उसे दफ़न होने के लिए दो गज़ ज़मीन दिला दे। डैन और डॉब्स के बीच अफ़रा-तफ़री मच जाती है, इसी बीच डैन के रिवॉल्वर की गोली जेनेट को लग जाती है, लेकिन जेनेट को कुछ भी नहीं होता। डैन को यक़ीन नहीं होता कि जो जेनेट उसके सामने खड़ी है, वह दरअसल मर चुकी है, और उसका शरीर डॉक्टर डॉब्स की आज्ञा का ग़ुलाम है। डैन उसे दफ़नाने के लिए कब्रिस्तान लाता है, जहाँ उसकी मुलाकात अन्य 'जिंदा लाशों' से होती है। डैन उनमें से हर एक को पहचानता है। कोई उसका पड़ोसी है तो कोई उसका मित्र, कोई डॉक्टर है तो वेटर। वही लोग जिनके साथ वह रोज़ हँसता-बोलता था, अपने दुःख-सुख बांटता था, और जिनकी मदद करता था। दहशत का शिकार डैन गिरते-पड़ते डॉब्स के पास पहुँचता है, और उसे जान से मार देना चाहता है। डॉब्स उसे कहता है, "तुमने वह वीडियो ज़रूर देखा, लेकिन पूरा नहीं देखा। अगर पूरा देख लेते तो इतने परेशान न होते। तुम मुझे मार सकते हो, लेकिन मुझे ख़त्म नहीं कर सकते।" अब सामने की दीवार पर वही वीडियो एक बार फिर चलने लगता है, और धीरे-धीरे उसी दृश्य पर पहुँच जाता है जहाँ जेनेट किसी आदमी की पीठ में छुरा घोंप रही थी। उस आदमी के पलटते ही डैन के मुँह से चीख निकल जाती है। क्योंकि मृत आदमी स्वयं डैन था। अचानक ही डैन के हाथ सड़ने लगते हैं, और वह ज़ोर से चीख़ता है। कहीं से डॉक्टर डॉब्स की आवाज़ आती है, "अरे डैन, ये क्या हो गया, आओ मैं तुम्हारे हाथ ठीक कर दूँ।"

समीक्षा

फ़िल्म की कथा पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि मैंने क्यों कहा था कि यह फ़िल्म अपने समय के लिहाज़ से ज़्यादा उन्नत थी। जी हाँ, ज़ॉम्बी (ज़िंदा लाश) विषय पर आज तक अनेक फ़िल्में बनाई जा चुकी हैं, और जॉर्ज ए. रोमीरो कृत 'नाइट ऑफ़ दि लिविंग डेड' के बाद ज़ॉम्बी विषय पर बनने वाली फ़िल्मों की तो जैसे बाढ़ ही आ गई। 'डेड एंड बरीड' ने लगभग 15-16 वर्षों तक मानस पटल पर अंकित जॉम्बीज़ की छवि को बिल्कुल नए अंदाज़ में पेश किया, और यह बताया कि ज़ॉम्बी भी सामान्य व्यक्तियों की तरह छलावा कर सकते हैं, और अगर ऐसा हो जाए, तो मामला और भी गंभीर हो सकता है। जो ज़ॉम्बी है और दूसरों को संक्रमित करके ज़ॉम्बी बना सकता है लेकिन यदि वह आसानी से पहचान में आ जाए, तो लोग उसे किसी भी क़ीमत पर नहीं छोड़ेंगे। वहीं अगर ज़ॉम्बी हममें या आपमें से कोई है, और वह हमारे बीच रहता है, हमारी तरह व्यवहार करता है, और उसमें हमारी तरह ही दुराव-छिपाव का दुर्गुण भी है, तो वाकई उसे पहचानना संभव नहीं होगा, और वह जब चाहे दूसरों को संक्रमित कर सकता है। हाँ, यह बात अलग है कि 'डेड एंड बरीड' के ज़ॉम्बी किसी के हुक़्म के ग़ुलाम हैं, और स्वेच्छा से किसी को संक्रमित नहीं करते। फ़िल्म में कई रोचक मोड़ हैं जो दर्शकों की तल्लीनता बरक़रार रखते हैं, और दर्शक का दिमाग़ एक पहेली से निकलते ही दूसरी में उलझ जाता है। पॉटर्स ब्लफ़ नामक कल्पित शहर का नारा है "A New Way To Life", यानी "जीवन का नया तरीका", और यही इस फ़िल्म का व्यंग्यात्मक पहलू भी है, क्योंकि फ़िल्म देखकर दर्शक ज़रूर समझ जाएंगे कि यह "नया तरीका" क्या है। इस नगर का चित्रण बड़े ही प्रभावी ढंग से किया गया है, और यह वाकई किसी भुतहा शहर की तरह शांत और निस्तब्ध है। पॉटर्स ब्लफ़ पर फैला घना कुहरा वातावरण को और विचित्र बना देता है और ऐसा लगता है मानो वह शहर का आवरण हो। एक ऐसा आवरण जो वहाँ के भयानक और दिल दहला देने वाले राज़ को अपने अंदर छिपाए हुए हो। यह फ़िल्म वाकई देखने लायक है, और इसका वातावरण ही कुछ ऐसा है, जो लोगों को इसे बार-बार देखने के लिए उकसाता है।
Just Before Dawn (1981)

जस्ट बिफ़ोर डॉन
रिलीज़ वर्ष - 1981
निर्देशक - जेफ़ लीबरमैन
निर्माता - डोरो व्लाडो रेलजेनोविक, डेविड शेल्डन
कलाकार - ग्रेग हेनरी, डेबोरा बेन्सन, जेमी रोज़, रॉल्फ़ सेमूर, क्रिस लेमन, जॉर्ज केनेडी आदि.

'जस्ट बिफ़ोर डॉन' वर्ष 1981 में रिलीज़ हुई थी, लेकिन आज की तारीख़ में उसे 'कल्ट मूवी' का दर्जा प्राप्त हो चुका है। 'कल्ट मूवी' का अभिप्राय किसी ऐसी फ़िल्म से है, जिसने कालांतर में अनेक समर्पित प्रशंसकों हासिल किए। इस फ़िल्म की मुख्य शक्ति इसके वातावरण में है, जो समय-समय पर अकेलेपल का ज़बरदस्त अहसास दिलाता है। दर्शक इस फ़िल्म से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। जेफ़ लीबरमैन ने अपनी अन्य फ़िल्मों में भी ख़ून-ख़राबे से भय उत्पन्न करने के बजाय, फ़िल्म के वातावरण को महत्व दिया है। मसलन लीबरमैन की 'ब्लू सनशाइन' ने भी अपनी इसी ख़ूबी के चलते अपार दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। फ़िल्म की शूटिंग अमेरीका के ओरेगॉन राज्य की पर्वत शृंखलाओं में की गई थी, और आज भी यह फ़िल्म अपनी नैसर्गिक ख़ूबसूरती के जीवंत चित्रण के कारण याद की जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हॉरर फ़िल्मों का उद्देश्य लोगों के मन में भय पैदा करना है, लेकिन भय की यह भावना तभी सार्थक होती है, जब वह हमारे मन को विचलित तो करे, लेकिन घृणा को जन्म न दे। 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' में भी कुछ ऐसी ही ख़ूबियां हैं, जिन्होंने इसे हॉरर जगत में एक सम्मानित स्थान दिलाया है।

कथा-संक्षेप

दो शिकारी टाई (माइक केलिन) और वेचल (चार्ल्स बार्टलेट) हिरण का सफल शिकार करके जंगल के बीचो-बीच स्थित एक परित्यक्त चर्च में सफलता का जश्न मनाने पहुँचते हैं। जैसा कि दर्शक देखते हैं, ऐसा लगता है कि उस चर्च में बरसों से इबादत नहीं हुई है, और वहाँ न तो कोई पादरी है, और न ही भक्त। वह चर्च बस जंगल की असीम हरीतिमा के बीच यूँ ही उपेक्षित-सा, जर्जर अवस्था में खड़ा हुआ है। जीत की ख़ुशी मनाते-मनाते, अचानक टाई की नज़रें चर्च की छत पर बने बड़े से छेद पर टिक जाती हैं, जहाँ उसे एक भयानक चेहरा नज़र आता है, जो एकटक टाई को ही घूरता रहता है। टाई वेचल का ध्यान उस ओर दिलाता है, लेकिन तब तक वह चेहरा ग़ायब हो चुका होता है। आशंकित मन से टाई चर्च से बाहर जाकर मुआयना करने की ठानता है, लेकिन बाहर उसे कुछ नहीं मिलता। अचानक ही उसकी कार लुढ़कती हुई उसी की दिशा में बढ़ने लगती है, और टाई मरते-मरते बचता है। कार पास ही एक पेड़ से टकरा जाती है और लपटों में घिर जाती है। धमाके की वजह से वेचल का ध्यान टाई की ओर जाता है, और वह बाहर निकलने के लिए दरवाज़ा खोलने के लिए बढ़ता है। इससे पहले की वेचल दरवाज़ा खोल पाता, एक भारी डील-डौल वाला भयानक शक़्ल का आदमी उसका रास्ता रोक लेता है, और अपने आरी जैसे दांतों वाला खंजर वेचल के पेट में उतार देता है। वेचल चीखने और तड़पने लगता है, और वह हत्यारा किसी पागल की तरह कहकहे लगाता है। वेचल की चीख़ सुनकर टाई का ध्यान उसकी ओर जाता है, लेकिन इससे पहले कि वह वेचल की मदद के लिए पहुँच पाता, उसे दूर से ही वह हत्यारा नज़र आ जाता है, जिसने अब वेचल के कपड़े पहन रखे हैं और अब उसकी नज़रें टाई पर जमी हुई हैं। टाई किसी तरह उसकी निगाहों से बचकर दूर जाने की कोशिश में जंगल की ओर भाग खड़ा होता है।

इस बीच कुछ युवा अपनी कैंपर (कैंपिंग के साज़ो-सामान वाली गाड़ी) में जंगल में ख़ुशगवार छुट्टियाँ मनाने की नीयत से जंगल के सुनसान रास्तों के सफ़र पर हैं। उनकी संख्या पाँच है, और उनके नाम वॉरेन (ग्रेग हेनरी), कॉन्सटांस (डेबोरा बेन्सन), डैनियल (रॉल्फ़ सेमूर), जॉनथन (क्रिस लेमन) और मेगन (जेमी रोज़) हैं। वॉरेन-कॉन्सटांस तथा जॉनथन-मेगन प्रेमी युगल हैं, और डैनियल एक नौसीखिया फ़ोटोग्राफ़र है, जो जंगल के सौंदर्य के कारण खिंचा चला आया है। रास्ते में उनकी भेंट जंगल के रेंजर रॉय (जॉर्ज केनेडी) से होती है, जो उन्हें पहाड़ों पर न जाने की सलाह देता है। वॉरेन रॉय को बताता है, कि जंगल में उसके पुरखों की एक ज़मीन है, जो उसे विरासत में मिली है, इसलिए वह अपने दोस्तों के साथ उस स्थान पर कुछ दिन ठहरने के लिए जा रहा है। रॉय के मना करने के बाद ही युवा सचेत नहीं होते, और अपनी राह पर चल देते हैं। आगे उनका सामना बदहवास से भागते हुए टाई से होता है, जो उन्हें जंगल में शैतान से हुई अपनी और वेचल की मुठभेड़ के बारे में बताता है। टाई को अब भी लग रहा है कि वह शैतान उसका पीछा कर रहा है। टाई उस शैतान को 'राक्षस' कहकर संबोधित करता है। टाई वॉरेन से मिन्नत करता है कि वे उसे अपने साथ ले चलें, लेकिन वॉरेन के साथी टाई को साथ ले जाने के पक्ष में नहीं है, इसलिए वे उसे वहीं रास्ते के बीच में छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। वॉरेन की कैंपर के आगे बढ़ते ही, टाई को वह शैतान नज़र आता है, जो अब कैंपर की छत पर सवार हो चुका है। टाई बड़े ही भयानक अंदाज़ में ठहाके लगाकर हँसता है, क्योंकि जो अब तक उसकी 'समस्या' थी, वही 'समस्या' अब वॉरेन और उसके साथियों की भी है।

जंगल के निर्धारित स्थान पर पहुँचकर वॉरेन और उसकी टोली, कैंपर को छोड़ आगे बढ़ जाते हैं। जंगल में व्याप्त शांति, पक्षियों की चहचहाहट, नदी की कलकल और झरने से गिरते पानी की आवाज़ माहौल को कुछ और ही रंग दे रहे हैं। चारों ओर फैली हरियाली को देख युवा जोड़ों का मन इस सौंदर्य का रसपान करने को हो रहा है, लेकिन वे नहीं जानते कि कोई उनके पीछे हैं, और उन पर लगातार नज़र रख रहा है। झरने के पास पहुँचने पर उन्हें एक लड़की नज़र आती है, जो कुछ गुनगुना रही है। वॉरेन और उसके साथी उसे रुकने का इशारा करते हैं, लेकिन वह लड़की भाग खड़ी होती है। फिर एक रोमांचक पल में दर्शक जॉनथन और मेगन को नदी में डुबकियां लगाते हुए देखते हैं। मेगन को लगता है कि जॉनथन पानी के अंदर छिपकर उसे डरा रहा है, लेकिन जब वह जॉनथन को किनारे पर खड़ा देखती है, तो चीख़ मारकर पानी से बाहर आ जाती है। वह चिल्ला-चिल्लाकर सबको बताती है, कि पानी के अंदर कोई उसके साथ बदतमीज़ी कर रहा था।

रात होते ही युवा जंगल की निस्तब्धता और नीरवता में संगीत का आनंद लेते हुए नाचते हैं। इतने में एक बुज़ुर्ग और उसका परिवार वहाँ आ धमकता है। शायद वह परिवार जंगल में ही रहता-बसता है, और परिवार का बुज़ुर्ग "पा" लोगन (हैप ऑस्लंड), वॉरेन और उसके साथियों को वहाँ से चले जाने के लिए कहता है। उसका मानना है कि वॉरेन और साथियों की मौजूदगी जंगल के शैतानों को जगा रही है। चेतावनी देकर लोगन परिवार वहाँ से चला जाता है, लेकिन वॉरेन और उसके साथ नहीं समझ पाते कि "पा" लोगन दरअसल किन शैतानों की बात कर रहा था। फिर वह रात शांति से गुज़र जाती है।


अगले दिन, प्राकृतिक सौंदर्य के वशीभूत हो कर जॉनथन चहल-कदमी करने चला जाता है। रास्ते में उसे वही लड़की दिखाई देती है, जो रात अपने परिवार के साथ उनके कैंप पर आई थी। लड़की का नाम मैरी केट लोगन (केटी पॉवेल) है। चूंकि मैरी जंगल में पली-बढ़ी है, इसलिए वह जॉनथन की मौजूदगी में ख़ुद को रोक नहीं पाती, और उसके साथ प्रेम-संबंध बनाना चाहती है, लेकिन जॉनथन ऐसा नहीं चाहता। वह तो बस मैरी के बारे में कुछ और जानना चाहता है। इसी उद्देश्य से जॉनथन मैरी के पीछे हो लेता है। मैरी भागते हुए एक रस्सी से बने पुल के पास आ जाती है, लेकिन कुछ देखते ही अचानक वहाँ से भाग खड़ी होती है। जॉनथन को मैरी का व्यवहार कुछ समझ में नहीं आता, और उसे लगता है कि शायद मैरी में रस्सी का पुल पार करने से डर रही है, और वह उसे कहता है, "अरे, तुम तो घबरा रही हो, देखो, मुझे देखों, और ध्यान दो कि मैं पुल को कैसे पार करता हूँ"। यह कहकर जॉनथन रस्सी का पुल पार करने लगता है, लेकिन ऐसा करके जॉनथन भयानक भूल करने जा रहा है। उसे सोचना चाहिए था कि मैरी का पूरा जीवन जंगल में बीता है, इसलिए रस्सी का पुल पार करना उसके लिए बच्चों का खेल हैं, और अगर वह किसी कारण से भाग खड़ी हुई थी, तो इसके पीछे कोई गहरा राज़ है। पुल के दूसरे सिरे पर पहुँचते ही जॉनथन को वही भयानक शक़्ल वाला आदमी खड़ा मिलता है, जो अपने धारदार ख़ंजर के साथ उसकी ताक में खड़ा है। जॉनथन को अब मैरी कहीं दिखाई नहीं देती। जॉनथन उस भयानक आदमी से पूछता है, "क्या तुम कहीं आसपास में रहते हो?" इसका जवाब वह आदमी अपने ख़ंजर को लहराकर देता है, जो सीधे जॉनथन के पंजे पर आ कर लगता है। जॉनथन इस अप्रत्याशित हमले से घबरा जाता है, और वापस लौटने को होता है, लेकिन शायद उस शैतान को यह मंज़ूर नहीं है। वह शैतान पुल को बांधकर रखने वाली रस्सी पर अपने ख़ंजर से बेतहाशा वार करने लगता है। फलस्वरूप कुछ ही पल में पुल टूट जाता है, और जॉनथन सीधे नीचे नदी में जा गिरता है। जॉनथन ज़ख़्मी हालत में सीटी बजाकर अपने मुसीबत में होने की सूचना अपने साथियों को देना चाहता है, लेकिन उसके साथी बहुत दूर हैं। अपनी सारी ताक़त बटोरकर जॉनथन पुल की टूटी हुई रस्सी के सहारे एक चट्टान पर चढ़ने की कोशिश करता है, जिसमें वह अंततः कामयाब भी हो जाता है, लेकिन जॉनथन नहीं जानता कि ऊपर उसका इंतज़ार वही शैतान कर रहा है। ऊपर पहुँचने पर शैतान जॉनथन को ठोकर मारकर फिर से नीचे गिरा देता है, और जॉनथन ऊंची चट्टान से नीचे गिरकर दम तोड़ देता है।

इधर टाई नीम-बेहोशी और बदहवासी की हालत में रॉय से मिलता है। वह रॉय को उन शैतानों के बारे में बताता है, और यह भी कहता है कि उन पाँच युवाओं की जान ख़तरे में है। रॉय तत्क्षण उन शैतानों का पता लगाने की ठान लेता है।

इधर डैनियल तस्वीरें खींचते हुए उसी पुराने चर्च में पहुँच जाता है, जहाँ फ़िल्म की शुरुआत में टाई और वेचल की उस शैतान से भिड़ंत हुई थी। वहाँ फैले सौंदर्य का रसास्वादन करते हुए डैनियल तस्वीरें उतारने लगता है। इतने में वहाँ मेगन भी आ पहुँचती है। दोनों मिलकर वहाँ आसपास फैली चीज़ों का जायज़ा लेने लगते हैं। डैनियल मेगन की तस्वीरें उतारने लगता है, लेकिन अफ़रा-तफ़री में उसका चश्मा कहीं गिर जाता है, जिससे उसकी दृष्टि धुंधली हो जाती है। तभी डैनियल को दूर कोई नज़र आता है। उसकी शर्ट देखकर लगता है कि वह जॉनथन है। डैनियल मेगन को बताता है कि जॉनथन उन्हें दूर से देख रहा है। मेगन को शरारत सूझती है, और वह डैनियल को अपने आलिंगन में भर लेती है। मेगन जॉनथन को छकाना और जलाना चाहती है। डैनियल की दृष्टि धुंधली हो चुकी है, इसलिए वह जॉनथन जैसे दिखने वाले उस साए को पास आते देखता तो है, लेकिन उसे ठीक से पहचान नहीं पाता। कुछ ही देर में वह साया डैनियल पर ख़ंजर से हमला कर देता है और उसका पेट चीर देता है। बदहवास मेगन चर्च में जा कर छिप जाती है, जहाँ उसे वेचल की लाश नज़र आती है। भारी मन से वह छिपकर उस भयानक शैतान की करतूत देखने लगती है, जो डैनियल की मौत पर कहकहे लगाते हुए उसके कैमरे से तस्वीरें उतारने लगता है। मेगन इतनी स्तब्ध हो चुकी है कि उसे पता ही नहीं चलता कि कोई उसके ठीक पीछे खड़ा है। जब वह पीछे नज़र घुमाती है, तो उसे वैसा ही एक और शैतान ख़ंजर के साथ अपने पीछे नज़र आता है। बाहर भी शैतान और अंदर भी शैतान! अब दर्शकों को समझ में आता है, कि दोनों शैतान दरअसल जुड़वा भाई हैं, जो जंगल में रहते हैं और सैलानियों को अपना निशाना बनाते हैं। शायद उन्हें पसंद नहीं कि कोई बाहर व्यक्ति उनके इलाके में आए-जाए। मेगन भी उन वहशी हत्यारों का शिकार बन जाती है।

इधर वॉरेन और कॉन्सटांस को जॉनथन की लाश नदी में बहती नज़र आती है। वे अपने अन्य साथियों की कुशलता को ले कर आशंकित हो उठते हैं। फलतः वॉरेन और कॉन्सटांस आसपास जाकर उन्हें तलाशने का फ़ैसला करते हैं। वॉरेन को अब भी लगता है कि उसके साथी शायद आसपास ही हैं, लेकिन रास्ता भटक गए हैं। वॉरेन कॉन्सटांस को किसी तरह समझा-बुझाकर दूसरों की तलाश में निकल जाता है।

रॉय अब युवाओं की तलाश में उनके आसपास पहुँच चुका है, और उसकी मुलाक़ात लोगन परिवार से होती है। बुज़ुर्ग "पा" लोगन रॉय को युवाओं के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर देता है, लेकिन मैरी रॉय की मदद करना चाहती है। यहाँ दर्शकों को पता चलता है कि दोनों शैतान दरअसल "पा" लोगन की पहली बीवी की संतानें हैं, जिन्हें उनके हिंसक स्वभाव के कारण घर से बाहर निकाल दिया गया था। इस नाते वे मैरी लोगन के भाई हैं। मैरी रॉय से कहती है कि वह उसे युवाओं के कैंप तक ले जाएगी। रास्ते में उन्हें बदहवास हालत में भागता हुआ वॉरेन नज़र आता है, जो रॉय को अपने दोस्तों की गुमशुदगी की सूचना देता है। रॉय उसे मदद का आश्वासन देता है और उसके पीछे हो लेता है। इधर कॉन्सटांस वॉरेन के इंतज़ार में आग जलाकर बैठी हुई है, तभी पीछे से एक शैतान आ धमकता है। सीटी बजाते हुए वह पागलों की तरह कॉन्सटांस को आतंकित करने लगता है। कॉन्सटांस किसी तरह भागकर एक पेड़ पर चढ़ जाती है, लेकिन शैतान नहीं रुकता। वह कॉन्सटांस के ख़ून का प्यासा होकर पेड़ काटने लगता है। कॉन्सटांस की चीख़ और पेड़ काटने की आवाज़ें रॉय और वॉरेन को कॉन्सटांस की स्थिति की जानकारी दे देती हैं, और रॉय ठीक वक़्त पर पहुँच कर शैतान का सीना गोलियों से छलनी कर देता है। वॉरेन अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि उसके साथी मारे जा चुके हैं। रॉय उन्हें किसी तरह सांत्वना देकर कैंप पर भेजता है, और सलाह देता है कि जितनी जल्दी हो सके, वे अपना सामान बांधकर यहाँ से भाग निकलें।

उस अप्रत्याशित हमले के कारण कॉन्सटांस अपने आसपास के माहौल के प्रति अधिक संवेदनशील और सतर्क हो जाती है। उसकी इंद्रियां छोटी-से-छोटी आवाज़ पर भी हरकत में आने लगती हैं। वॉरेन इतना घबराया हुआ है कि उसे कुछ सूझ नहीं रहा है। ख़ुद को और कॉन्सटांस को समझाते हुए, वॉरेन सामान समेटने लगता है। अचानक ही दूसरा शैतान वॉरेन पर ख़ंजर से हमला करके उसे ज़ख़्मी कर देता है। वॉरेन घायल अवस्था में कॉन्सटांस को सिवाय देखते रहने के और कुछ नहीं कर सकता। शैतान की इस हरकत से कॉन्सटांस बेहद हिंसक हो जाती है, और वह शैतान की पीठ पर सवार होकर उसे नोचने-खसोटने लगती है। शैतान कॉन्सटांस की हरकत पर ग़ुस्से से पागल हो जाता है, और उसे कसकर अपनी भुजाओं से दबाने लगता है। कॉन्सटांस के मुँह से ख़ून निकलने लगता है, और वॉरेन भय से जड़ हो जाता है। कॉन्सटांस अपने शरीर की पूरी ताक़त समेटकर शैतान पर हमला कर देती है, और अपना पूरा का पूरा दाहिना हाथ शैतान के मुँह में भीतर तक डाल देती है। शैतान की श्वास-नली बंद हो जाने से वह छटपटाते हुए कटे पेड़ की तरह नीचे गिर जाता है, लेकिन कॉन्सटांस अपने हाथों का दबाव तब तक बढ़ाती है, जब तक कि शैतान का दम नहीं निकल जाता। शैतान को मारने के बाद कॉन्सटांस विजयी लेकिन हिंसक भाव से वॉरेन की तरफ़ पलट कर देखती है। अचानक ही मैरी लोगन वहाँ पहुँचती है, और अपने भाई की लाश देखकर वहाँ से भाग खड़ी होती है। कॉन्सटांस एक बार फिर घायल वॉरेन पर नज़र डालती है, जो अब उठने की कोशिश कर रहा है। जंगल में एक बार फिर से पक्षियों का कलरव गान सुनाई देने लगा है, और सुबह की पहली किरण जंगल में फैले अंधकार को शनैः शनैः निगलती जा रही है।

समीक्षा

वर्ष 1981, हॉलीवुड हॉरर फ़िल्मों का स्वर्णयुग था। उस दौरान बनी हॉरर फ़िल्में आज भी चाव से देखी जाती हैं। हॉरर फ़िल्मों का वह दौर अब लौटकर नहीं आ सकता, जो 1978 से 1986 तक चला। उस दौरान शायद ही ऐसा कोई विषय बचा होगा, जिस पर निर्देशकों ने हॉरर के नज़रिये से प्रयोग न किया हो। 1980-1981 के दौरान कैंपिंग युवाओं का पसंदीदा शौक़ था। शायद इसी को आधार बनाकर लीबरमैन ने "जस्ट बिफ़ोर डॉन" की कल्पना की होगी। हालांकि इस फ़िल्म की कहानी का श्रेय मार्क एरिविट्ज़ और जोसफ़ मिडिलटन को जाता है, लेकिन जेफ़ लीबरमैन ने अपनी रचनात्मक शक्ति का उपयोग करके इस कहानी में नए रोमांच शामिल किए। हॉरर फ़िल्मों को बहुधा कलाकारों के ख़राब अभिनय से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' में ऐसा नहीं है। फ़िल्म के कलाकारों ने वाकई शानदार अभिनय किया है, और एक समय के बाद दर्शकों को यह लगने लगता है जैसे कि यह सारी घटना सच्ची हो, और ठीक उनकी आँखों के सामने घट रही हो। फ़िल्म का पार्श्वसंगीत ब्रैड फ़िडेल ने दिया है, जिन्होंने बाद में फ़ाइट नाइट, टर्मिनेटर, ट्रू लाइज़ जैसी चर्चित फ़िल्मों में भी अपने संगीत का जादू बिखेरा। इस पार्श्वसंगीत की ख़ासियत यह है कि यह दर्शकों के मन में ज़बरदस्त अकेलेपन का अहसास कराता है। जेफ़ लीबरमैन ने प्राकृतिक ध्वनियों, जैसे चिड़ियों की चहचहाहट, नदी की कलकल और झरने की आवाज़ का इस्तेमाल भी अकेलेपन का अहसास जगाने के लिए ही किया है। इन ध्वनियों के सान्निध्य में दर्शकों को अचानक ही लगने लगता है कि फ़िल्म के पात्र किसी भी प्रकार की सहायता से बहुत दूर किसी बियाबान में भटक रहे हैं, जहाँ कुछ भी हो सकता है। यह फ़िल्म अमेरीका में कैंपिंग अभियानों से जुड़े ख़तरों से भी आगाह करती है। ख़तरा सिर्फ़ हिंसक जानवरों, मौसम आदि प्राकृतिक शक्तियों या विकट स्थिति में फंसने का ही नहीं होता, बल्कि वह किसी ऐसे रूप में भी सामने आ सकता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, और जिसके लिए व्यक्ति तैयार भी नहीं होता। जंगल, हरियाली, पुराना चर्च, नदी और झरने की आवाज़ें, ये सभी घटक 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' की प्रभावशीलता को कई गुना बढ़ा देते हैं। शायद यह फ़िल्म उस काल की भी द्योतक है, जब सभ्य समाजों की कल्पना इंसान की सोच से बाहर थी, और ज़िंदा बचे रहना ही सफलता की एकमात्र कुंजी थी। कॉन्सटांस जिस साहस का परिचय देकर अपनी और अपने मित्र वॉरेन की जान बचाती है, वह वाकई उस समय की याद दिलाता है, जब मनुष्यों को जीवित रहने के लिए आने वाले किसी भी ख़तरे से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ता था। शायद लीबरमैन आज भी सभ्य समाज में बसने वाले व्यक्तियों (जैसे कि कॉन्सटांस) के अंदर वही हिंसक प्रवृत्ति को देखते हैं, जो संभवतः हज़ारों साल पहले सभ्य समाज के निर्माण के बाद भुला दी गई, लेकिन वस्तुतः जो आज भी जीवित है, और जब-तब सक्रिय हो उठती है। यह जेफ़ लीबरमैन का एक शानदार प्रयास है, जिसकी प्रशंसा आगे भी कई वर्षों तक होती रहेगी।