Monday, July 2, 2012

Just Before Dawn (1981)

जस्ट बिफ़ोर डॉन
रिलीज़ वर्ष - 1981
निर्देशक - जेफ़ लीबरमैन
निर्माता - डोरो व्लाडो रेलजेनोविक, डेविड शेल्डन
कलाकार - ग्रेग हेनरी, डेबोरा बेन्सन, जेमी रोज़, रॉल्फ़ सेमूर, क्रिस लेमन, जॉर्ज केनेडी आदि.

'जस्ट बिफ़ोर डॉन' वर्ष 1981 में रिलीज़ हुई थी, लेकिन आज की तारीख़ में उसे 'कल्ट मूवी' का दर्जा प्राप्त हो चुका है। 'कल्ट मूवी' का अभिप्राय किसी ऐसी फ़िल्म से है, जिसने कालांतर में अनेक समर्पित प्रशंसकों हासिल किए। इस फ़िल्म की मुख्य शक्ति इसके वातावरण में है, जो समय-समय पर अकेलेपल का ज़बरदस्त अहसास दिलाता है। दर्शक इस फ़िल्म से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। जेफ़ लीबरमैन ने अपनी अन्य फ़िल्मों में भी ख़ून-ख़राबे से भय उत्पन्न करने के बजाय, फ़िल्म के वातावरण को महत्व दिया है। मसलन लीबरमैन की 'ब्लू सनशाइन' ने भी अपनी इसी ख़ूबी के चलते अपार दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। फ़िल्म की शूटिंग अमेरीका के ओरेगॉन राज्य की पर्वत शृंखलाओं में की गई थी, और आज भी यह फ़िल्म अपनी नैसर्गिक ख़ूबसूरती के जीवंत चित्रण के कारण याद की जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हॉरर फ़िल्मों का उद्देश्य लोगों के मन में भय पैदा करना है, लेकिन भय की यह भावना तभी सार्थक होती है, जब वह हमारे मन को विचलित तो करे, लेकिन घृणा को जन्म न दे। 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' में भी कुछ ऐसी ही ख़ूबियां हैं, जिन्होंने इसे हॉरर जगत में एक सम्मानित स्थान दिलाया है।

कथा-संक्षेप

दो शिकारी टाई (माइक केलिन) और वेचल (चार्ल्स बार्टलेट) हिरण का सफल शिकार करके जंगल के बीचो-बीच स्थित एक परित्यक्त चर्च में सफलता का जश्न मनाने पहुँचते हैं। जैसा कि दर्शक देखते हैं, ऐसा लगता है कि उस चर्च में बरसों से इबादत नहीं हुई है, और वहाँ न तो कोई पादरी है, और न ही भक्त। वह चर्च बस जंगल की असीम हरीतिमा के बीच यूँ ही उपेक्षित-सा, जर्जर अवस्था में खड़ा हुआ है। जीत की ख़ुशी मनाते-मनाते, अचानक टाई की नज़रें चर्च की छत पर बने बड़े से छेद पर टिक जाती हैं, जहाँ उसे एक भयानक चेहरा नज़र आता है, जो एकटक टाई को ही घूरता रहता है। टाई वेचल का ध्यान उस ओर दिलाता है, लेकिन तब तक वह चेहरा ग़ायब हो चुका होता है। आशंकित मन से टाई चर्च से बाहर जाकर मुआयना करने की ठानता है, लेकिन बाहर उसे कुछ नहीं मिलता। अचानक ही उसकी कार लुढ़कती हुई उसी की दिशा में बढ़ने लगती है, और टाई मरते-मरते बचता है। कार पास ही एक पेड़ से टकरा जाती है और लपटों में घिर जाती है। धमाके की वजह से वेचल का ध्यान टाई की ओर जाता है, और वह बाहर निकलने के लिए दरवाज़ा खोलने के लिए बढ़ता है। इससे पहले की वेचल दरवाज़ा खोल पाता, एक भारी डील-डौल वाला भयानक शक़्ल का आदमी उसका रास्ता रोक लेता है, और अपने आरी जैसे दांतों वाला खंजर वेचल के पेट में उतार देता है। वेचल चीखने और तड़पने लगता है, और वह हत्यारा किसी पागल की तरह कहकहे लगाता है। वेचल की चीख़ सुनकर टाई का ध्यान उसकी ओर जाता है, लेकिन इससे पहले कि वह वेचल की मदद के लिए पहुँच पाता, उसे दूर से ही वह हत्यारा नज़र आ जाता है, जिसने अब वेचल के कपड़े पहन रखे हैं और अब उसकी नज़रें टाई पर जमी हुई हैं। टाई किसी तरह उसकी निगाहों से बचकर दूर जाने की कोशिश में जंगल की ओर भाग खड़ा होता है।

इस बीच कुछ युवा अपनी कैंपर (कैंपिंग के साज़ो-सामान वाली गाड़ी) में जंगल में ख़ुशगवार छुट्टियाँ मनाने की नीयत से जंगल के सुनसान रास्तों के सफ़र पर हैं। उनकी संख्या पाँच है, और उनके नाम वॉरेन (ग्रेग हेनरी), कॉन्सटांस (डेबोरा बेन्सन), डैनियल (रॉल्फ़ सेमूर), जॉनथन (क्रिस लेमन) और मेगन (जेमी रोज़) हैं। वॉरेन-कॉन्सटांस तथा जॉनथन-मेगन प्रेमी युगल हैं, और डैनियल एक नौसीखिया फ़ोटोग्राफ़र है, जो जंगल के सौंदर्य के कारण खिंचा चला आया है। रास्ते में उनकी भेंट जंगल के रेंजर रॉय (जॉर्ज केनेडी) से होती है, जो उन्हें पहाड़ों पर न जाने की सलाह देता है। वॉरेन रॉय को बताता है, कि जंगल में उसके पुरखों की एक ज़मीन है, जो उसे विरासत में मिली है, इसलिए वह अपने दोस्तों के साथ उस स्थान पर कुछ दिन ठहरने के लिए जा रहा है। रॉय के मना करने के बाद ही युवा सचेत नहीं होते, और अपनी राह पर चल देते हैं। आगे उनका सामना बदहवास से भागते हुए टाई से होता है, जो उन्हें जंगल में शैतान से हुई अपनी और वेचल की मुठभेड़ के बारे में बताता है। टाई को अब भी लग रहा है कि वह शैतान उसका पीछा कर रहा है। टाई उस शैतान को 'राक्षस' कहकर संबोधित करता है। टाई वॉरेन से मिन्नत करता है कि वे उसे अपने साथ ले चलें, लेकिन वॉरेन के साथी टाई को साथ ले जाने के पक्ष में नहीं है, इसलिए वे उसे वहीं रास्ते के बीच में छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। वॉरेन की कैंपर के आगे बढ़ते ही, टाई को वह शैतान नज़र आता है, जो अब कैंपर की छत पर सवार हो चुका है। टाई बड़े ही भयानक अंदाज़ में ठहाके लगाकर हँसता है, क्योंकि जो अब तक उसकी 'समस्या' थी, वही 'समस्या' अब वॉरेन और उसके साथियों की भी है।

जंगल के निर्धारित स्थान पर पहुँचकर वॉरेन और उसकी टोली, कैंपर को छोड़ आगे बढ़ जाते हैं। जंगल में व्याप्त शांति, पक्षियों की चहचहाहट, नदी की कलकल और झरने से गिरते पानी की आवाज़ माहौल को कुछ और ही रंग दे रहे हैं। चारों ओर फैली हरियाली को देख युवा जोड़ों का मन इस सौंदर्य का रसपान करने को हो रहा है, लेकिन वे नहीं जानते कि कोई उनके पीछे हैं, और उन पर लगातार नज़र रख रहा है। झरने के पास पहुँचने पर उन्हें एक लड़की नज़र आती है, जो कुछ गुनगुना रही है। वॉरेन और उसके साथी उसे रुकने का इशारा करते हैं, लेकिन वह लड़की भाग खड़ी होती है। फिर एक रोमांचक पल में दर्शक जॉनथन और मेगन को नदी में डुबकियां लगाते हुए देखते हैं। मेगन को लगता है कि जॉनथन पानी के अंदर छिपकर उसे डरा रहा है, लेकिन जब वह जॉनथन को किनारे पर खड़ा देखती है, तो चीख़ मारकर पानी से बाहर आ जाती है। वह चिल्ला-चिल्लाकर सबको बताती है, कि पानी के अंदर कोई उसके साथ बदतमीज़ी कर रहा था।

रात होते ही युवा जंगल की निस्तब्धता और नीरवता में संगीत का आनंद लेते हुए नाचते हैं। इतने में एक बुज़ुर्ग और उसका परिवार वहाँ आ धमकता है। शायद वह परिवार जंगल में ही रहता-बसता है, और परिवार का बुज़ुर्ग "पा" लोगन (हैप ऑस्लंड), वॉरेन और उसके साथियों को वहाँ से चले जाने के लिए कहता है। उसका मानना है कि वॉरेन और साथियों की मौजूदगी जंगल के शैतानों को जगा रही है। चेतावनी देकर लोगन परिवार वहाँ से चला जाता है, लेकिन वॉरेन और उसके साथ नहीं समझ पाते कि "पा" लोगन दरअसल किन शैतानों की बात कर रहा था। फिर वह रात शांति से गुज़र जाती है।


अगले दिन, प्राकृतिक सौंदर्य के वशीभूत हो कर जॉनथन चहल-कदमी करने चला जाता है। रास्ते में उसे वही लड़की दिखाई देती है, जो रात अपने परिवार के साथ उनके कैंप पर आई थी। लड़की का नाम मैरी केट लोगन (केटी पॉवेल) है। चूंकि मैरी जंगल में पली-बढ़ी है, इसलिए वह जॉनथन की मौजूदगी में ख़ुद को रोक नहीं पाती, और उसके साथ प्रेम-संबंध बनाना चाहती है, लेकिन जॉनथन ऐसा नहीं चाहता। वह तो बस मैरी के बारे में कुछ और जानना चाहता है। इसी उद्देश्य से जॉनथन मैरी के पीछे हो लेता है। मैरी भागते हुए एक रस्सी से बने पुल के पास आ जाती है, लेकिन कुछ देखते ही अचानक वहाँ से भाग खड़ी होती है। जॉनथन को मैरी का व्यवहार कुछ समझ में नहीं आता, और उसे लगता है कि शायद मैरी में रस्सी का पुल पार करने से डर रही है, और वह उसे कहता है, "अरे, तुम तो घबरा रही हो, देखो, मुझे देखों, और ध्यान दो कि मैं पुल को कैसे पार करता हूँ"। यह कहकर जॉनथन रस्सी का पुल पार करने लगता है, लेकिन ऐसा करके जॉनथन भयानक भूल करने जा रहा है। उसे सोचना चाहिए था कि मैरी का पूरा जीवन जंगल में बीता है, इसलिए रस्सी का पुल पार करना उसके लिए बच्चों का खेल हैं, और अगर वह किसी कारण से भाग खड़ी हुई थी, तो इसके पीछे कोई गहरा राज़ है। पुल के दूसरे सिरे पर पहुँचते ही जॉनथन को वही भयानक शक़्ल वाला आदमी खड़ा मिलता है, जो अपने धारदार ख़ंजर के साथ उसकी ताक में खड़ा है। जॉनथन को अब मैरी कहीं दिखाई नहीं देती। जॉनथन उस भयानक आदमी से पूछता है, "क्या तुम कहीं आसपास में रहते हो?" इसका जवाब वह आदमी अपने ख़ंजर को लहराकर देता है, जो सीधे जॉनथन के पंजे पर आ कर लगता है। जॉनथन इस अप्रत्याशित हमले से घबरा जाता है, और वापस लौटने को होता है, लेकिन शायद उस शैतान को यह मंज़ूर नहीं है। वह शैतान पुल को बांधकर रखने वाली रस्सी पर अपने ख़ंजर से बेतहाशा वार करने लगता है। फलस्वरूप कुछ ही पल में पुल टूट जाता है, और जॉनथन सीधे नीचे नदी में जा गिरता है। जॉनथन ज़ख़्मी हालत में सीटी बजाकर अपने मुसीबत में होने की सूचना अपने साथियों को देना चाहता है, लेकिन उसके साथी बहुत दूर हैं। अपनी सारी ताक़त बटोरकर जॉनथन पुल की टूटी हुई रस्सी के सहारे एक चट्टान पर चढ़ने की कोशिश करता है, जिसमें वह अंततः कामयाब भी हो जाता है, लेकिन जॉनथन नहीं जानता कि ऊपर उसका इंतज़ार वही शैतान कर रहा है। ऊपर पहुँचने पर शैतान जॉनथन को ठोकर मारकर फिर से नीचे गिरा देता है, और जॉनथन ऊंची चट्टान से नीचे गिरकर दम तोड़ देता है।

इधर टाई नीम-बेहोशी और बदहवासी की हालत में रॉय से मिलता है। वह रॉय को उन शैतानों के बारे में बताता है, और यह भी कहता है कि उन पाँच युवाओं की जान ख़तरे में है। रॉय तत्क्षण उन शैतानों का पता लगाने की ठान लेता है।

इधर डैनियल तस्वीरें खींचते हुए उसी पुराने चर्च में पहुँच जाता है, जहाँ फ़िल्म की शुरुआत में टाई और वेचल की उस शैतान से भिड़ंत हुई थी। वहाँ फैले सौंदर्य का रसास्वादन करते हुए डैनियल तस्वीरें उतारने लगता है। इतने में वहाँ मेगन भी आ पहुँचती है। दोनों मिलकर वहाँ आसपास फैली चीज़ों का जायज़ा लेने लगते हैं। डैनियल मेगन की तस्वीरें उतारने लगता है, लेकिन अफ़रा-तफ़री में उसका चश्मा कहीं गिर जाता है, जिससे उसकी दृष्टि धुंधली हो जाती है। तभी डैनियल को दूर कोई नज़र आता है। उसकी शर्ट देखकर लगता है कि वह जॉनथन है। डैनियल मेगन को बताता है कि जॉनथन उन्हें दूर से देख रहा है। मेगन को शरारत सूझती है, और वह डैनियल को अपने आलिंगन में भर लेती है। मेगन जॉनथन को छकाना और जलाना चाहती है। डैनियल की दृष्टि धुंधली हो चुकी है, इसलिए वह जॉनथन जैसे दिखने वाले उस साए को पास आते देखता तो है, लेकिन उसे ठीक से पहचान नहीं पाता। कुछ ही देर में वह साया डैनियल पर ख़ंजर से हमला कर देता है और उसका पेट चीर देता है। बदहवास मेगन चर्च में जा कर छिप जाती है, जहाँ उसे वेचल की लाश नज़र आती है। भारी मन से वह छिपकर उस भयानक शैतान की करतूत देखने लगती है, जो डैनियल की मौत पर कहकहे लगाते हुए उसके कैमरे से तस्वीरें उतारने लगता है। मेगन इतनी स्तब्ध हो चुकी है कि उसे पता ही नहीं चलता कि कोई उसके ठीक पीछे खड़ा है। जब वह पीछे नज़र घुमाती है, तो उसे वैसा ही एक और शैतान ख़ंजर के साथ अपने पीछे नज़र आता है। बाहर भी शैतान और अंदर भी शैतान! अब दर्शकों को समझ में आता है, कि दोनों शैतान दरअसल जुड़वा भाई हैं, जो जंगल में रहते हैं और सैलानियों को अपना निशाना बनाते हैं। शायद उन्हें पसंद नहीं कि कोई बाहर व्यक्ति उनके इलाके में आए-जाए। मेगन भी उन वहशी हत्यारों का शिकार बन जाती है।

इधर वॉरेन और कॉन्सटांस को जॉनथन की लाश नदी में बहती नज़र आती है। वे अपने अन्य साथियों की कुशलता को ले कर आशंकित हो उठते हैं। फलतः वॉरेन और कॉन्सटांस आसपास जाकर उन्हें तलाशने का फ़ैसला करते हैं। वॉरेन को अब भी लगता है कि उसके साथी शायद आसपास ही हैं, लेकिन रास्ता भटक गए हैं। वॉरेन कॉन्सटांस को किसी तरह समझा-बुझाकर दूसरों की तलाश में निकल जाता है।

रॉय अब युवाओं की तलाश में उनके आसपास पहुँच चुका है, और उसकी मुलाक़ात लोगन परिवार से होती है। बुज़ुर्ग "पा" लोगन रॉय को युवाओं के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर देता है, लेकिन मैरी रॉय की मदद करना चाहती है। यहाँ दर्शकों को पता चलता है कि दोनों शैतान दरअसल "पा" लोगन की पहली बीवी की संतानें हैं, जिन्हें उनके हिंसक स्वभाव के कारण घर से बाहर निकाल दिया गया था। इस नाते वे मैरी लोगन के भाई हैं। मैरी रॉय से कहती है कि वह उसे युवाओं के कैंप तक ले जाएगी। रास्ते में उन्हें बदहवास हालत में भागता हुआ वॉरेन नज़र आता है, जो रॉय को अपने दोस्तों की गुमशुदगी की सूचना देता है। रॉय उसे मदद का आश्वासन देता है और उसके पीछे हो लेता है। इधर कॉन्सटांस वॉरेन के इंतज़ार में आग जलाकर बैठी हुई है, तभी पीछे से एक शैतान आ धमकता है। सीटी बजाते हुए वह पागलों की तरह कॉन्सटांस को आतंकित करने लगता है। कॉन्सटांस किसी तरह भागकर एक पेड़ पर चढ़ जाती है, लेकिन शैतान नहीं रुकता। वह कॉन्सटांस के ख़ून का प्यासा होकर पेड़ काटने लगता है। कॉन्सटांस की चीख़ और पेड़ काटने की आवाज़ें रॉय और वॉरेन को कॉन्सटांस की स्थिति की जानकारी दे देती हैं, और रॉय ठीक वक़्त पर पहुँच कर शैतान का सीना गोलियों से छलनी कर देता है। वॉरेन अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि उसके साथी मारे जा चुके हैं। रॉय उन्हें किसी तरह सांत्वना देकर कैंप पर भेजता है, और सलाह देता है कि जितनी जल्दी हो सके, वे अपना सामान बांधकर यहाँ से भाग निकलें।

उस अप्रत्याशित हमले के कारण कॉन्सटांस अपने आसपास के माहौल के प्रति अधिक संवेदनशील और सतर्क हो जाती है। उसकी इंद्रियां छोटी-से-छोटी आवाज़ पर भी हरकत में आने लगती हैं। वॉरेन इतना घबराया हुआ है कि उसे कुछ सूझ नहीं रहा है। ख़ुद को और कॉन्सटांस को समझाते हुए, वॉरेन सामान समेटने लगता है। अचानक ही दूसरा शैतान वॉरेन पर ख़ंजर से हमला करके उसे ज़ख़्मी कर देता है। वॉरेन घायल अवस्था में कॉन्सटांस को सिवाय देखते रहने के और कुछ नहीं कर सकता। शैतान की इस हरकत से कॉन्सटांस बेहद हिंसक हो जाती है, और वह शैतान की पीठ पर सवार होकर उसे नोचने-खसोटने लगती है। शैतान कॉन्सटांस की हरकत पर ग़ुस्से से पागल हो जाता है, और उसे कसकर अपनी भुजाओं से दबाने लगता है। कॉन्सटांस के मुँह से ख़ून निकलने लगता है, और वॉरेन भय से जड़ हो जाता है। कॉन्सटांस अपने शरीर की पूरी ताक़त समेटकर शैतान पर हमला कर देती है, और अपना पूरा का पूरा दाहिना हाथ शैतान के मुँह में भीतर तक डाल देती है। शैतान की श्वास-नली बंद हो जाने से वह छटपटाते हुए कटे पेड़ की तरह नीचे गिर जाता है, लेकिन कॉन्सटांस अपने हाथों का दबाव तब तक बढ़ाती है, जब तक कि शैतान का दम नहीं निकल जाता। शैतान को मारने के बाद कॉन्सटांस विजयी लेकिन हिंसक भाव से वॉरेन की तरफ़ पलट कर देखती है। अचानक ही मैरी लोगन वहाँ पहुँचती है, और अपने भाई की लाश देखकर वहाँ से भाग खड़ी होती है। कॉन्सटांस एक बार फिर घायल वॉरेन पर नज़र डालती है, जो अब उठने की कोशिश कर रहा है। जंगल में एक बार फिर से पक्षियों का कलरव गान सुनाई देने लगा है, और सुबह की पहली किरण जंगल में फैले अंधकार को शनैः शनैः निगलती जा रही है।

समीक्षा

वर्ष 1981, हॉलीवुड हॉरर फ़िल्मों का स्वर्णयुग था। उस दौरान बनी हॉरर फ़िल्में आज भी चाव से देखी जाती हैं। हॉरर फ़िल्मों का वह दौर अब लौटकर नहीं आ सकता, जो 1978 से 1986 तक चला। उस दौरान शायद ही ऐसा कोई विषय बचा होगा, जिस पर निर्देशकों ने हॉरर के नज़रिये से प्रयोग न किया हो। 1980-1981 के दौरान कैंपिंग युवाओं का पसंदीदा शौक़ था। शायद इसी को आधार बनाकर लीबरमैन ने "जस्ट बिफ़ोर डॉन" की कल्पना की होगी। हालांकि इस फ़िल्म की कहानी का श्रेय मार्क एरिविट्ज़ और जोसफ़ मिडिलटन को जाता है, लेकिन जेफ़ लीबरमैन ने अपनी रचनात्मक शक्ति का उपयोग करके इस कहानी में नए रोमांच शामिल किए। हॉरर फ़िल्मों को बहुधा कलाकारों के ख़राब अभिनय से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' में ऐसा नहीं है। फ़िल्म के कलाकारों ने वाकई शानदार अभिनय किया है, और एक समय के बाद दर्शकों को यह लगने लगता है जैसे कि यह सारी घटना सच्ची हो, और ठीक उनकी आँखों के सामने घट रही हो। फ़िल्म का पार्श्वसंगीत ब्रैड फ़िडेल ने दिया है, जिन्होंने बाद में फ़ाइट नाइट, टर्मिनेटर, ट्रू लाइज़ जैसी चर्चित फ़िल्मों में भी अपने संगीत का जादू बिखेरा। इस पार्श्वसंगीत की ख़ासियत यह है कि यह दर्शकों के मन में ज़बरदस्त अकेलेपन का अहसास कराता है। जेफ़ लीबरमैन ने प्राकृतिक ध्वनियों, जैसे चिड़ियों की चहचहाहट, नदी की कलकल और झरने की आवाज़ का इस्तेमाल भी अकेलेपन का अहसास जगाने के लिए ही किया है। इन ध्वनियों के सान्निध्य में दर्शकों को अचानक ही लगने लगता है कि फ़िल्म के पात्र किसी भी प्रकार की सहायता से बहुत दूर किसी बियाबान में भटक रहे हैं, जहाँ कुछ भी हो सकता है। यह फ़िल्म अमेरीका में कैंपिंग अभियानों से जुड़े ख़तरों से भी आगाह करती है। ख़तरा सिर्फ़ हिंसक जानवरों, मौसम आदि प्राकृतिक शक्तियों या विकट स्थिति में फंसने का ही नहीं होता, बल्कि वह किसी ऐसे रूप में भी सामने आ सकता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, और जिसके लिए व्यक्ति तैयार भी नहीं होता। जंगल, हरियाली, पुराना चर्च, नदी और झरने की आवाज़ें, ये सभी घटक 'जस्ट बिफ़ोर डॉन' की प्रभावशीलता को कई गुना बढ़ा देते हैं। शायद यह फ़िल्म उस काल की भी द्योतक है, जब सभ्य समाजों की कल्पना इंसान की सोच से बाहर थी, और ज़िंदा बचे रहना ही सफलता की एकमात्र कुंजी थी। कॉन्सटांस जिस साहस का परिचय देकर अपनी और अपने मित्र वॉरेन की जान बचाती है, वह वाकई उस समय की याद दिलाता है, जब मनुष्यों को जीवित रहने के लिए आने वाले किसी भी ख़तरे से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ता था। शायद लीबरमैन आज भी सभ्य समाज में बसने वाले व्यक्तियों (जैसे कि कॉन्सटांस) के अंदर वही हिंसक प्रवृत्ति को देखते हैं, जो संभवतः हज़ारों साल पहले सभ्य समाज के निर्माण के बाद भुला दी गई, लेकिन वस्तुतः जो आज भी जीवित है, और जब-तब सक्रिय हो उठती है। यह जेफ़ लीबरमैन का एक शानदार प्रयास है, जिसकी प्रशंसा आगे भी कई वर्षों तक होती रहेगी।

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