Monday, July 2, 2012

Dead & Buried (1981)


डेड एंड बरीड
रिलीज़ वर्ष - 1981
निर्देशक - गैरी शर्मन
निर्माता - रॉबर्ट फ़ेंट्रेस, रिचर्ड सेंट जॉन्स, रोनाल्ड शसेट
कलाकार - जेम्स फ़ैरेंटीनो, जैक एल्बर्टसन,  मेलोडी एंडरसन आदि.

'डेड एंड बरीड' 1981 में बनी एक हॉरर फ़िल्म है, जिसे आज भी हॉरर जगत में बड़े सम्मान से देखा जाता है। कल्ट फ़िल्मों (वर्ग विशेष में लोकप्रिय फ़िल्में) के जादूगर गैरी शर्मन ने वाइस स्क्वाड, पोल्टरगाइस्ट 3 जैसी अन्य सफल फ़िल्मों का भी निर्देशन किया, लेकिन 'डेड एंड बरीड' इनसे बहुत अलग है। दरअसल 'डेड एंड बरीड' की कहानी अपने समय के लिहाज़ से बहुत उन्नत है, और वह परिकल्पना, जिस पर यह आधारित थी, अपने ढंग की शायद पहली परिकल्पना थी। मैं स्वयं ऐसी हॉरर फ़िल्मों को ज़्यादा प्राथमिकता देता हूँ, जो वातावरण से मन में भय उत्पन्न करती हैं, और शायद यही कारण है कि मैं साल में कम-से-कम 20 बार इस फ़िल्म को अवश्य देखता हूँ। इस फ़िल्म की ख़ूबी यह है कि इसकी पूरी कहानी पर अस्सी के स्वर्णिम दशक की गाथा लिखी हुई है। इसका हर पहलू हमें याद दिलाता है, कि अस्सी के दशक का हॉरर-जगत में क्या महत्व था। जहाँ आजकल की हॉरर फ़िल्मों में स्पेशल इफ़ेक्ट्स का बोलबालाहै, और डर के लिए क्रूरता को ही एकमात्र हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है, वहीं गैरी शर्मन की 'डेड एंड बरीड' नवोदित निर्देशकों को शिक्षा देती लगती है कि भय के लिए बेहिसाब क्रूरता, बर्बरता और यातना की ज़रूरत नहीं है।

कथा-संक्षेप

अमेरीका के न्यू इंग्लैंड प्रांत के समुद्र तट पर बसा एक शांत कस्बा पॉटर्स ब्लफ़। पॉटर्स ब्लफ़ मध्यम वर्गीय लोगों का छोटा-सा धुंध से भरा सुहावना नगर है। यहीं एक रोज़ एक फ़ोटोग्राफ़र (क्रिस्टोफ़र ऑलपोर्ट) कुछ फ़ोटो उतारने की नीयत से समुद्र तट पर आता है। तट पर उसकी मुलाकात एक अनिद्य सुंदरी (लीज़ा ब्लॉन्ट) से होती है। दोनों एक दूसरे का नाम पूछने के बजाय एक दूसरे के नाम के बारे में अटकल लगाने लगते हैं। लड़की फ़ोटोग्राफ़र को फ़्रेडी नाम देती है, और फ़ोटोग्राफ़र उसे लीज़ा कहता है। फ़्रेडी लीज़ा की तस्वीरें उतारने लगता है, और लीज़ा उसे अपनी ओर आकर्षित करने लगती है। अचानक ही उनकी प्रेमलीला में बाधा पड़ जाती है, और हाथ में तरह-तरह के औज़ार लिए कुछ लोग वहाँ आ धमकते हैं। अचानक ही लीज़ा भी उनकी टोली में शामिल हो जाती है, और वे सब फ़्रेडी को बुरी तरह पीटने लगते हैं। मार से बेहोश फ़्रेडी को एक खंभे से बांध दिया जाता है, और टोली के कुछ लोग उस पर पेट्रोल डालकर उसे ज़िंदा जला देते हैं।

डैन जिलिस (जेम्स फ़ैरेंटीनो) पॉटर्स ब्लफ़ का टाउन इंस्पेक्टर (शेरिफ़) है। उसे जल्द ही इस हत्याकांड की सूचना मिल जाती है। कुछ बचाव कर्मी उसे बताते हैं कि उक्त व्यक्ति (फ़्रेडी) अभी ज़िंदा है, अलबत्ता वह बुरी तरह जल चुका है। डैन के साथ-साथ वहाँ पॉटर्स ब्लफ़ का मॉर्टिशियन (लाश का अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति) डॉक्टर डॉब्स (जैक एल्बर्टसन) भी मौजूद है। डॉब्स पोस्टमॉर्टम करने के साथ-साथ क्षत-विक्षत लाशों को सही रूप भी देता है, और वह पॉटर्स ब्लफ़ का एकमात्र अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति भी है। डैन और डॉब्स के बीच हमेशा किसी न किसी बात पर बहस छिड़ी रहती है। डॉब्स हर वक़्त डैन के समक्ष अपने काम की महानता का बखान करता रहता है, जिससे डैन को चिढ़ हो गई है।

बहरहाल, घायल व्यक्ति (फ़्रेडी) को तुरंत अस्पताल लाया जाता है, जहाँ वह डॉक्टर (जोसफ़ मेडेलिस) की सेवा में है। डैन डॉक्टर से कहता है कि इस जघन्य अपराध का पर्दाफ़ाश करने के लिए उसे उस घायल व्यक्ति के बयान की ज़रूरत है, लेकिन डॉक्टर उसे बताता है कि उक्त व्यक्ति के होंठ जल जाने के कारण वह फ़िलहाल तब तक कुछ नहीं बोल सकता, जब तक कि उसकी प्लास्टिक सर्जरी पूरी नहीं हो जाती। डॉक्टर डैन से बातचीत करने के लिए डैन को बाहर ले जाता है। वे बातचीत करते रहते हैं, और इसी बीच एक नर्स फ़्रेडी के कमरे में बेआवाज़ घुस आती है। दर्शक देखते हैं कि यह वही लड़की लीज़ा है, जो हत्यारों की टोली में शामिल थी। असहाय फ़्रेडी कुछ नहीं कर पाता, और लीज़ा उसकी आँखों में इंजेक्शन घुसेड़ देती है, और कमरे से दबे पाँव बाहर निकल जाती है। फ़्रेडी के मरते ही अलार्म बज उठता है, और डॉक्टर तथा डैन दोनों फ़्रेडी की मौत से सन्न रह जाते हैं।

डैन घूमते-फिरते उस होटल में पहुँचता है, जहाँ फ़्रेडी ठहरा हुआ था। होटल का मालिक बेन (मेकन मैक्कालमैन) डैन का परिचित है, और डैन की मदद करके ख़ुश है। पूरा कमरा छान मारने के बाद भी डैन के हाथ कुछ नहीं लगता। अचानक बेन को कुछ याद आता है और वह कहता है, "ओह...मैं बताना भूल गया, अगर इसके बारे में कुछ जानना चाहते हो, तो अपनी पत्नी से पूछो। वह उससे होटल में आकर मिली थी।"

डैन की समझ में कुछ नहीं आता। परेशान होकर वह घर चला आता है, जहाँ उसकी बीवी जेनेट (मेलोडी एंडरसन) उसका स्वागत करती है। डैन उससे उस व्यक्ति के बारे में पूछता है। उसे पता चलता है कि उस व्यक्ति का नाम जॉर्ज लेमॉयन था। जेनेट उसे बताती है कि वह जॉर्ज से स्कूली फ़ोटो के सिलसिले में मिलने गई थी। जेनेट बच्चों के स्कूल में टीचर है, और उसके अनुसार स्कूल की समिति ने जॉर्ज को बच्चों तथा स्कूल की फ़ोटो खींचने के लिए बुलाया था। कुछ राहत पाकर डैन अपने काम में फिर लग जाता है। अगले दिन उसे रास्ते में जेनेट के स्कूल के चेयरमैन दिखाई देते हैं। जेनेट के बयान की पुष्टि करने के लिए डैन चेयरमैन से जॉर्ज के बारे में पूछता है, लेकिन चेयरमैन कहते हैं कि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति को स्कूल या बच्चों की फ़ोटो खींचने के लिए नहीं बुलाया था। डैन का मन दोबारा आशंका से भर उठता है।

कुछ दिनों बाद कुछ लोग एक मछुवारे को जहाज घाट पर भयानक मौत मार देते हैं। डैन और भी परेशान हो उठता है। अभी पिछले क़त्ल की गुत्थी भी नहीं सुलझी थी कि एक नए हत्याकांड की पहेली सामने आ गई। डैन पूरा ज़ोर लगाकर क़ातिल को पकड़ने में जुट जाता है। इस बीच जेनेट रोज़ाना देर से घर लौटती है। डैन कुछ आपत्ति तो जताता है, लेकिन जेनेट की प्रेमिल बातों और सटीक दलीलों की वजह से जल्द ही उससे सुलह कर लेता है। इस बीच जेनेट उसे एक वीडियो टेप भी प्रोसेस करवाने के लिए देती है, और कहती है कि ये टेप उसके स्कूल में हुए प्रोग्राम का है।

एक रात एक दंपत्ति और उनका 8-9 वर्षीय बेटा पॉटर्स ब्लफ़ से होकर गुज़रते रहते हैं। रास्ता पूछने के मक़सद से पति एक कैफ़े में चला आता है, जहाँ एक व्यक्ति उसकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है। दर्शक को अचानक ही याद आता है कि वह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि जॉर्ज ऊर्फ़ फ़्रेडी है, जिसे अस्पताल में मार दिया गया था। लेकिन जॉर्ज तो पूरी तरह स्वस्थ है, और उसके चेहरे पर जलने तो क्या खरोंच तक के निशान नहीं हैं। वह परिवार फ़्रेडी के बताए रास्ते पर निकल पड़ता है, लेकिन आगे जाने पर कुछ लोग उनका रास्ता रोक लेते हैं। ये वही हत्यारे हैं, जिन्होंने हत्या की वारदातों को अंजाम दिया है। दर्शक पूरी तरह समझ नहीं पाते कि उस परिवार का क्या हुआ। अलबत्ता केस की तफ़्तीश में लगा डैन उसी रास्ते से होकर निकलता है, और उस परिवार को पूरी तेज़ी के साथ कार में भागता हुआ देखता है। इससे पहले की डैन कार का पीछा कर पाता, उसकी गाड़ी किसी व्यक्ति से ज़ोर से टकराती है। डैन घायल व्यक्ति को देखने के लिए बाहर निकलता है, लेकिन अचानक ही उसके सिर पर एक थपकी पड़ती है। डैन पलटकर देखता है कि उसकी गाड़ी के बोनट में उस व्यक्ति का कटा हुआ हाथ फंसा हुआ है, और वह पूरी हरकत में है। इससे पहले की डैन कुछ समझ पाता, सड़क पर पड़ा व्यक्ति उठ खड़ा होता है, और डैन को एक ओर धकेल देता है, फिर वह अपना हाथ बोनट से निकाल कर रात के सन्नाटे में एक ओर भाग खड़ा होता है और एक चारदीवारी के पीछे जाकर गुम हो जाता है। बहुत छानबीन करने के बाद भी डैन को कुछ नहीं मिलता।

घर पर डैन को जेनेट की मेज़ की दराज़ में वू-डू (अफ़्रीकी/कैरीबियाई तंत्र-मंत्र) की कुछ किताबें और एक ख़ंजर मिलता है। डैन विचलित हो उठता है, और जेनेट से इसका कारण पूछता है। जेनेट फिर कहती है कि वह बच्चों को वू-डू के विषय में पढ़ा रही है इसलिए ऐसी चीज़ें उसके पास हैं। वह डैन के इस सवाल से नाराज़ भी होती है। इस बीच डैन को ख़बर मिलती है कि किसी की कार समुद्र में आधी डूबी मिली है। दर्शक इस कार को देखते ही समझ जाते हैं कि कार उसी परिवार की है, जिन्हें रात में डैन ने भागते हुए देखा था। हालांकि उस दंपत्ति और छोटे बच्चे के विषय में कुछ पता नहीं चल पाता।

अगली सुबह डैन चुपचाप जेनेट के स्कूल जाकर उसकी हरकतों पर नज़र रखने की कोशिश करता है। खिड़की से अंदर झांककर वह देखता है कि जेनेट सचमुच बच्चों को वू-डू के बारे में बता रही है। डैन फिर से संदेह मुक्त होकर वहाँ से चला जाता है, लेकिन यह नहीं देख पाता कि जेनेट की क्लास में बैठा एक बच्चा दरअसल वही बच्चा है, जिसका परिवार उस रात पॉटर्स ब्लफ़ से होकर गुज़र रहा था। डैन अपनी जीप के बोनट पर चिपके मांस के नमूने को डॉक्टर के पास जाँच के लिए भेजता है। तभी बेन उसके पास आकर हाँफते हुए कहता है, "डैन क्या तुम्हें वह फ़ोटोग्राफ़र याद है, जिसके लिए तुम मेरे होटल पर आए थे, और जो अस्पताल में मर गया था? मैंने उसी आदमी को पेट्रोल पंप पर लोगों की गाड़ियों में पेट्रोल डालते देखा है। अगर यक़ीन न हो, तो अपनी बीवी से पूछो।" डैन जेनेट के साथ पेट्रोल पंप पर जाता है, लेकिन जेनेट की हरकत देखकर उसे नहीं लगता कि वह पेट्रोल पंप के किसी भी सदस्य को पहचानती है।

जाँच के बाद डॉक्टर डैन को बताता है कि उसके द्वारा भेजा गया मांस का नमूना यक़ीनन मानव मांस ही है, लेकिन वह मांस कम से कम तीन हफ़्ते पुराना है। डैन को यकायक यकीन नहीं होता कि जिस व्यक्ति को उसने रात में भागते हुए देखा था, उसकी त्वचा तीन हफ़्ते पुरानी कैसे हो सकती है? इस बीच कुछ लोग अस्पताल में मांस के नमूने की जांच करने वाले डॉक्टर को भी मार डालते हैं।

इधर एक अन्य लड़की पॉटर्स ब्लफ़ के हत्यारों का शिकार बन जाती है। हत्यारे उसका चेहरा भारी पत्थर से कुचल देते हैं। उसकी लाश मिलने पर डैन और भी परेशान हो उठता है। मृत लड़की को डॉक्टर डॉब्स की प्रयोगशाला में लाया जाता है। दर्शक देखते हैं कि डॉब्स बहुत बड़ा कलाकार है। वह लड़की के कुचले हुए चेहरे को बिल्कुल सही रूप में ले आता है और फिर अचानक ही एक साया वहाँ आकर लड़की के मृत शरीर में जान फूंक कर चला जाता है। लड़की तत्क्षण होश में आ जाती है और विचित्र नज़रों से दर्शकों को देखती है।

डैन ठान लेता है कि वह इन हत्याओं का राज़ जानकर रहेगा। वह वीडियो शॉप में जाकर वहाँ से वही वीडियो टेप लेता है, जिसे जेनेट ने उसे प्रोसेस करवाने के लिए दिया था। वीडियो देखने पर अचानक ही डैन उछल पड़ता है। उस वीडियो में उसे जेनेट किसी आदमी की बाँहों में लेटी दिखाई देती है। डैन देखता है कि जेनेट उस आदमी की पीठ में छुरा घोंप रही है, और फिर अचानक ही अनेक लोग, जिनमें वे लोग भी हैं जो उससे रोज़ मिलते हैं, जिन्हें डैन अपना दोस्त समझता है, और जो रोज़ डैन को इन हत्याओं के ज़िम्मेदार व्यक्ति को सज़ा दिलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अंत में डैन को डॉक्टर डॉब्स भी वहाँ नज़र आता है, जो उस व्यक्ति की हत्या का जश्न मनाने लगता है। डैन को समझते देर नहीं लगती कि वे सभी हत्यारे हैं और उनका दोहरा जीवन महज़ दिखावा है। डैन को यह समझते देर नहीं लगती कि जेनेट वू-डू का इस्तेमाल मुर्दों को जगाने के लिए करती है।

डॉब्स के बारे में तहक़ीक़ात करने पर डैन को पता चलता है कि डॉब्स पहले किसी अन्य राज्य के सम्मानित अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट हुआ करता था, जिसे लाशों के साथ उल्टे-सीधे और अप्राकृतिक प्रयोग करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। बरसों पहले वही डॉक्टर डॉब्स पॉटर्स ब्लफ़ के इस शांत कसबे में आकर बस गया और यहीं से अपने प्रयोगों को अंजाम देने लगा। डैन को यक़ीन हो जाता है कि इन सभी हत्यारों का आक़ा डॉब्स ही है। डैन उन कब्रों को भी खुदवाता है, जहाँ डॉब्स के अनुसार मुर्दे दफ़न थे, लेकिन उसे किसी भी कब्र में लाश नहीं मिलती। अलबत्ता उसे ताबूत में मृतकों के कपड़े मिलते हैं, और कपड़ों के अंदर सावधानी से रखा हुआ एक इंसानी दिल धड़कता हुआ मिलता है!

डैन इन हत्याओं और जेनेट के विचित्र व्यवहार का कारण डॉब्स को मानता है, इसलिए वह डॉब्स को गिरफ़्तार करने के लिए उसके घर पहुँचता है। उसे वहाँ जेनेट भी मिलती है, लेकिन उसका पूरा शरीर दरअसल जर्जर हो चुका है। ऐसा लगता है मानो वह कोई पुतला हो और उसमें जान ही न हो। वह डैन से मिन्नत करती है कि वह उसे दफ़न होने के लिए दो गज़ ज़मीन दिला दे। डैन और डॉब्स के बीच अफ़रा-तफ़री मच जाती है, इसी बीच डैन के रिवॉल्वर की गोली जेनेट को लग जाती है, लेकिन जेनेट को कुछ भी नहीं होता। डैन को यक़ीन नहीं होता कि जो जेनेट उसके सामने खड़ी है, वह दरअसल मर चुकी है, और उसका शरीर डॉक्टर डॉब्स की आज्ञा का ग़ुलाम है। डैन उसे दफ़नाने के लिए कब्रिस्तान लाता है, जहाँ उसकी मुलाकात अन्य 'जिंदा लाशों' से होती है। डैन उनमें से हर एक को पहचानता है। कोई उसका पड़ोसी है तो कोई उसका मित्र, कोई डॉक्टर है तो वेटर। वही लोग जिनके साथ वह रोज़ हँसता-बोलता था, अपने दुःख-सुख बांटता था, और जिनकी मदद करता था। दहशत का शिकार डैन गिरते-पड़ते डॉब्स के पास पहुँचता है, और उसे जान से मार देना चाहता है। डॉब्स उसे कहता है, "तुमने वह वीडियो ज़रूर देखा, लेकिन पूरा नहीं देखा। अगर पूरा देख लेते तो इतने परेशान न होते। तुम मुझे मार सकते हो, लेकिन मुझे ख़त्म नहीं कर सकते।" अब सामने की दीवार पर वही वीडियो एक बार फिर चलने लगता है, और धीरे-धीरे उसी दृश्य पर पहुँच जाता है जहाँ जेनेट किसी आदमी की पीठ में छुरा घोंप रही थी। उस आदमी के पलटते ही डैन के मुँह से चीख निकल जाती है। क्योंकि मृत आदमी स्वयं डैन था। अचानक ही डैन के हाथ सड़ने लगते हैं, और वह ज़ोर से चीख़ता है। कहीं से डॉक्टर डॉब्स की आवाज़ आती है, "अरे डैन, ये क्या हो गया, आओ मैं तुम्हारे हाथ ठीक कर दूँ।"

समीक्षा

फ़िल्म की कथा पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि मैंने क्यों कहा था कि यह फ़िल्म अपने समय के लिहाज़ से ज़्यादा उन्नत थी। जी हाँ, ज़ॉम्बी (ज़िंदा लाश) विषय पर आज तक अनेक फ़िल्में बनाई जा चुकी हैं, और जॉर्ज ए. रोमीरो कृत 'नाइट ऑफ़ दि लिविंग डेड' के बाद ज़ॉम्बी विषय पर बनने वाली फ़िल्मों की तो जैसे बाढ़ ही आ गई। 'डेड एंड बरीड' ने लगभग 15-16 वर्षों तक मानस पटल पर अंकित जॉम्बीज़ की छवि को बिल्कुल नए अंदाज़ में पेश किया, और यह बताया कि ज़ॉम्बी भी सामान्य व्यक्तियों की तरह छलावा कर सकते हैं, और अगर ऐसा हो जाए, तो मामला और भी गंभीर हो सकता है। जो ज़ॉम्बी है और दूसरों को संक्रमित करके ज़ॉम्बी बना सकता है लेकिन यदि वह आसानी से पहचान में आ जाए, तो लोग उसे किसी भी क़ीमत पर नहीं छोड़ेंगे। वहीं अगर ज़ॉम्बी हममें या आपमें से कोई है, और वह हमारे बीच रहता है, हमारी तरह व्यवहार करता है, और उसमें हमारी तरह ही दुराव-छिपाव का दुर्गुण भी है, तो वाकई उसे पहचानना संभव नहीं होगा, और वह जब चाहे दूसरों को संक्रमित कर सकता है। हाँ, यह बात अलग है कि 'डेड एंड बरीड' के ज़ॉम्बी किसी के हुक़्म के ग़ुलाम हैं, और स्वेच्छा से किसी को संक्रमित नहीं करते। फ़िल्म में कई रोचक मोड़ हैं जो दर्शकों की तल्लीनता बरक़रार रखते हैं, और दर्शक का दिमाग़ एक पहेली से निकलते ही दूसरी में उलझ जाता है। पॉटर्स ब्लफ़ नामक कल्पित शहर का नारा है "A New Way To Life", यानी "जीवन का नया तरीका", और यही इस फ़िल्म का व्यंग्यात्मक पहलू भी है, क्योंकि फ़िल्म देखकर दर्शक ज़रूर समझ जाएंगे कि यह "नया तरीका" क्या है। इस नगर का चित्रण बड़े ही प्रभावी ढंग से किया गया है, और यह वाकई किसी भुतहा शहर की तरह शांत और निस्तब्ध है। पॉटर्स ब्लफ़ पर फैला घना कुहरा वातावरण को और विचित्र बना देता है और ऐसा लगता है मानो वह शहर का आवरण हो। एक ऐसा आवरण जो वहाँ के भयानक और दिल दहला देने वाले राज़ को अपने अंदर छिपाए हुए हो। यह फ़िल्म वाकई देखने लायक है, और इसका वातावरण ही कुछ ऐसा है, जो लोगों को इसे बार-बार देखने के लिए उकसाता है।

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